सहेली को देख सुनीता ने शुरू की स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की प्रैक्टिस, राष्ट्रीय स्तर पर 20 से ज्यादा पदक जीते
रोहतक के सीसर गांव निवासी स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की खिलाड़ी सुनीता का घर भी जर्जर हालत में है और चूल्हा भी मजदूरी से जलता है। लेकिन हौसला और लक्ष्य बड़ा है। सुनीता ने महज तीन साल में ही 20 से अधिक मेडल जीत कर देश व प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
रोहतक [रतन चंदेल]। रोहतक के सीसर गांव की बेटी एवं अंतरराष्ट्रीय स्ट्रेंथ लिफ्टिंग खिलाड़ी सुनीता का गोल्डन गर्ल बनने का सफर संघर्षों से भरा रहा है। करीब तीन साल पहले अपनी सहेली कीर्ति को देखकर स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। पदकों की झड़ी लगा दी। अब कजाकिस्तान में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए पसीना बहा रही है।
शुरुआत में सुनीता ने भिवानी के आदर्श कालेज में पढ़ाई के दौरान ही प्रतियोगिताओं में भाग लिया। लेकिन मेडल जीतने में कामयाबी नहीं मिली। वहीं परिवार की तरफ से कालेज फीस न भरे जाने के चलते उन्हें वहां कालेज की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। लेकिन उन्होंने खेल की अपनी प्रैक्टिस जारी रखी। कभी ईंटों के बंडल से प्रैक्टिस की तो कहीं मिट्टी से भरे तसले उठाकर। इस तरह से प्रैक्टिस करते हुए उन्होंने 2018 में पहली बार लाेहारू में हुई ओपन चैंपियनशिप में मेडल जीता तो परिवार को भी खुशी मिली। उसके बाद से उन्होंने अब तक 20 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते हैं। इनमें ज्यादातर गोल्ड मेडल हैं।
पढ़ाई के बाद मजदूरी, फिर प्रैक्टिस
सुनीता ने 2019 में महम के राजकीय महाविद्यालय में दाखिला लिया। अब वह पढ़ाई भी कर रही हैं और परिवार के का गुजारा चलाने के लिए मजदूरी भी कर की है। इतना ही नहीं, अपने खेल की प्रैक्टिस के लिए भी समय निकाल रही है। ताकि इसी साल कजाकिस्तान में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी देश के लिए गोल्ड जीत सकें। हालांकि आर्थिक तंगी के चलते उनके पास स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की प्रैक्टिस के लिए घर पर कोई संसाधन भी नहीं हैं। सुनीता दिन में मजदूरी करती हैं और सुबह-शाम प्रैक्टिस करती हैं।
घर पर कर रहीं चैंपियनशिप की तैयारी
एक से पांच अक्टूबर तक होने वाली विश्वस्तरीय चैंपियनशिप के लिए लॉकडाउन में वे घर पर रहकर ही तैयारी कर रही हैं। चैंपियनशिप के लिए जुलाई में रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। उसके लिए लगभग डेढ़ लाख का खर्च होगा। लेकिन इस बार अभिभावकों ने भी कर्ज उठाने से मना कर दिया है। 58 किलो वर्ग में भाग लेने वाली ये खिलाड़ी इसी कारण आर्थिक संकट में हैं।
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