फसलों पर ग्लोबल वार्मिंग का ग्रहण, पैदावार पर पड़ेगा असर, हरियाणा में फरवरी से गर्मी दिखा रही तेवर

इस बार हरियाणा में फरवरी माह में ही तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक चला गया। जबकि इतनी गर्मी मार्च महीने के लगभग 15 दिन गुजरने के बाद लोगों को महसूस होती है। इस तापमान के बढ़ने का कारण कृषि विज्ञानी ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर देख रहे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 11:55 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 11:55 AM (IST)
फसलों पर ग्लोबल वार्मिंग का ग्रहण, पैदावार पर पड़ेगा असर, हरियाणा में फरवरी से गर्मी दिखा रही तेवर
हरियाणा में फरवरी महीने में ही मार्च महीने जैसी गर्मी शुरू हो गई थी, इससे कई असर होंगे

हिसार, जेएनएन। ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारे दैनिक जीवन के साथ खान पान पर भी पड़ रहा है। इस का असर इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार फरवरी माह में ही तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक चला गया। जबकि इतनी गर्मी मार्च महीने के लगभग 15 दिन गुजरने के बाद लोगों को महसूस होती है। इस तापमान के बढ़ने का कारण कृषि विज्ञानी ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर देख रहे हैं। इसके साथ ही वह फसलों की विभिन्न किस्मों पर जो प्रयोग कर रहे हैं उसमें भी अंतर दिखाई दे रहा है। हालात ऐसे हैं कि गेहूं का दाना सिकुड़ रहा है तो पैदावार घटने की संभावना भी बन गई है।

इसके साथ ही कुछ सब्जियां तीन-तीन महीने में पैदावार देती हैं इन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। फसल चक्र के लिए एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होनी चाहिए। ऐसी स्थिति को लेकर कृषि विज्ञानी काफी चिंतित हैं। मंगलवार को दिन का तापमान 28.3 डिग्री सेल्सियस तो न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिन का तापमान सामान्य तापमान के बराबर है।

11 वर्ष बाद अधिकतम तापमान इतना अधिक

फरवरी माह की 26 तारीख को सबसे गर्म दिन था। जब दिन का तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस अधिक था। इससे पहले 2010 में 28 फरवरी को दिन का तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इससे पहले 17 फरवरी 1993 को 32.8 डिग्री, 28 फरवरी 1985 में 32.7 डिग्री व 28 फरवरी 1980 को 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज हो चुका है।

ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ता तापमान घटा रहा पैदावार

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गेहू विज्ञानी डा. ओपी बिश्नोई बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग फसलों में वास्तव में बड़ा प्रभाव छोड़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण में कई गैसों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे तापमान बढ़ता है। तापमान बढ़ने से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जैसे गेहूं के दानों को पकने अौर अच्छी गुणवत्ता के लिए तय तापमान चाहिए होता है। मगर ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ने से यह देखने को मिल रहा है कि गेहूं के दाने जल्द पक रहे हैं मगर इनका आकार सिकुड़ा हुआ है। इसके साथ ही प्रति एकड़ पैदावार भी इस तापमान असंतुलन के कारण घट रही है। इसीलिए विज्ञानी अब ऐसी किस्मों पर काम कर रहे हैं जो पर्यावरण के हिसाब से पैदावार दें।

सब्जी व फलों पर असर

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सब्जी विभाग के विज्ञानी डा. अरुण कुमार भाटिया बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग का फलों व सब्जियों पर पूरा असर है। फसलों से अगर उनके चक्र से हटकर तापमान या मौसम मिलता है तो वह सामान्य व्यवहार नहीं कर पाते। जैसे अभी आम की बौरें आ गईं यह भी तापमान के कारण ही परिवर्तन है। इसी प्रकार प्याज में गाठें बननी थी तो फरवरी में ही तापमान मार्च जैसा हो गया। कई प्रभाव हैं जो फलों व सब्जियों के लिए काफी असर छोड़ते हैं।

उत्तर पश्चिमी हवा फिर से रात्रि तापमान करेंगी कम

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि 6 मार्च तक मौसम आमतौर पर खुश्क रहने की संभावना है। दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी हो सकती है। इसी प्रकार उत्तर पश्चिमी हवा चलने से रात्रि तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है।

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ग्लोबल वार्मिंग के असर के चलते फसलें प्रभावित हो रही हैं। इसीलिए अब कृषि विज्ञानी ऐसी किस्मों पर शोध कर रहे हैं जो पर्यावरण के हिसाब से हों। यानि हमारे यहां जैसा तापमान हो उसी हिसाब से अच्छी पैदावार दें।

-------प्रो समर सिंह , कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

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