जीजेयू के पर्यावरणविद प्रो. नरसी राम बिश्नोई दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दो फीसद विज्ञानियों की सूची में शामिल
फोटो संख्या - 211 - अमरीका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के शीर्ष दो फीसद विज्ञानियो
फोटो संख्या - 211
- अमरीका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के शीर्ष दो फीसद विज्ञानियों की सूची जारी की
- 1992 से लेकर 2020 तक के शोध प्रकाशन के आधार पर प्रो. नरसी सूची में हुए शामिल
जागरण संवाददाता, हिसार: अमरीका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के शीर्ष दो फीसद विज्ञानियों की सूची जारी की है। इस सूची में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय के डीन ऑफ रिसर्च प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई अपने 1992 से लेकर 2020 तक के शोध प्रकाशन के आधार पर नाम शामिल करवाने में कामयाब रहे। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने 2019 तक के शोध पत्रों के प्रभाव के आधार पर विज्ञानियों को ग्रेड दिए हैं। प्रो. नरसी राम बिश्नोई को उनकी रिसर्च पब्लिकेशन के आधार पर ये सम्मान मिला है।
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प्रो. बिश्नोई के 152 शोध पत्र उच्च कोटि के प्रकाशकों में हुए हैं प्रकाशित
प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई के 152 शोध पत्र दुनिया के प्रसिद्ध जर्नल जो की एल्सेवेर साइंस डायरेक्ट, एमराल्ड टेलर एंड फ्रांसिस तथा स्प्रिंगर जैसे उच्च कोटि के प्रकाशकों से प्रकाशित हुए है। इनके चलते उन्हें राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी दिल्ली द्वारा 2015 में उच्चतम विज्ञानी के सम्मान से नवाजा गया। 2019 में उन्हें इंडियन अकादमी ऑफ एनवायरन्मेंट साइंस हरिद्वार की ओर से प्रोफेसर सालगराय अवार्ड से सम्मानित किया गया। इनके शोध कार्य के प्रभाव के कारण इनका गूगल एच इंडेक्स 37 है, वहीं गूगल आई-10 इंडेक्स 73 है। इनकी रिसर्च को 4743 विज्ञानियों ने अपनी रिसर्च में इस्तेमाल किया है। इनका स्कोपस एच इंडेक्स 29 तथा स्कोपस साइटेशन 2923 है।
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फंडिग एजेंसियों से प्रोजेक्ट के लिए हासिल कर चुके फंड
प्रोफेसर बिश्नोई ने पांच रिसर्च प्रोजेक्ट जिनमें कई प्रसिद्ध फंडिग एजेंसियों जैसे यूजीसी, हरियाणा साइंस तथा विज्ञान विभाग, एआइसीटी ने पैसे उपलब्ध करवाए हैं। इसके अलावा प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई ने पर्यावरण की मुख्य समस्याओं जैसे की वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पराली व गेहूं की तूड़ी से इथेनॉल बनाने की रिसर्च की है। इसके अलावा इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर प्रदूषण कम करने पर रिसर्च की है। यह शोध पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित समस्याओं में लाभदायक हो सकते हैं। उन्होंने समुद्र, झील व तालाब में पाई जाने वाली काई से बायोडीजल बनाने से संबंधित रिसर्च भी की है। इसमें उन्हें सफलता भी मिली है। उन्होंने बायोरेमेडिएशन विधि द्वारा स्वच्छ करने पर शोध किए हैं तथा इससे फैक्ट्रियों से जुड़े अपशिष्ट पदार्थों जैसे की कैडमियम, निकल, क्रोमियम से पानी पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर भी शोध किए हैं। इनके अलावा प्रो. नरसी ने 21 पीएचडी करवाई हैं तथा एमटेक में 75 शोधार्थियों को गाइड किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने प्रोफेसर नरसी राम को अपने शोध द्वारा विश्वविद्यालय का नाम रोशन करने पर बधाई दी है। उनकी यह उपलब्धियां विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत भी है।