छह महीने से बेटी पर संबंध बनाने का दबाव दे रहे थे, बस नहीं चला तो करियर खराब करने के पीएचडी के डाटा का कंप्यूटर मांग लिया

जागरण संवाददाता हिसार मेरी बेटी को पिछले छह महीने से परेशान किया जा रहा था उस पर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 11:13 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 11:13 PM (IST)
छह महीने से बेटी पर संबंध बनाने का दबाव दे रहे थे, बस नहीं चला तो करियर खराब करने के पीएचडी के डाटा का कंप्यूटर मांग लिया
छह महीने से बेटी पर संबंध बनाने का दबाव दे रहे थे, बस नहीं चला तो करियर खराब करने के पीएचडी के डाटा का कंप्यूटर मांग लिया

जागरण संवाददाता, हिसार : मेरी बेटी को पिछले छह महीने से परेशान किया जा रहा था, उस पर चेयरपर्सन ने अवैध संबंध बनाने का दबाव दिया था। बस नहीं चला तो करियर खराब करने के लिए पीएचडी के डाटा से भरा कंप्यूटर ही मांग लिया। बेटी ने गुहार लगाई यहां पांच-छह कंप्यूटर है, कोई और ले लो लेकिन उसका ही कंप्यूटर मांगा गया। परेशान होकर मेरी बेटी दूनिया को छोड़ गई। यह जानकारी जीजेयू (गुरु जंभेश्वर साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय) में बायो एंड नैनो टेक विभाग की लैब में जहर निगल जान देने वाली पीएचडी छात्रा के पिता ने बताई। पुलिस को दी शिकायत में पिता ने बताया कि उसकी बेटी ने उसे बताया था कि उसके विभाग का चेयरमैन संदीप और उसकी 726726पीएचडी गाइड नमिता उसे परेशान कर रहे है। चेयरमैन संदीप उस पर अवैध संबंध बनाने का दबाव बनाता है। पुलिस ने पिता की शिकायत पर 306 व 34 के तहत केस दर्ज किया है।

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सुसाइड नोट में इनडायरेक्टली जाहिर की प्रताड़ना

पुलिस को मृतका से सवा पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है। जिसमें उसने लिखा है कि वह फाइट में फेल हो गई। उसने लिखा है कि उस पर दबाव बनाकर उसका लाभ उठाने की कोशिश की जा रही थी। साथ ही लिखा अपने मम्मी-पापा को मिस करती है, उसकी मां की तरह वह नहीं बन सकी। अपने माता-पिता को लिखा है कि उसे माफ कर देना।

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बायोइनफोरमेटिव होने के कारण डाटा नहीं हो सकता था कॉपी

दरअसल, पीएचडी में छात्रों को चार साल के बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होती है। पीएचडी छात्रा को अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी थी। छात्रा को विभाग की तरफ से जो कंप्यूटर मिला था। वह विभाग में लगे हैवी सर्वर से कनेक्ट था। इसे बायोइनफोरमेटिव डाटा कहा जाता है। इसका डाटा हैवी होता है। इसे एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में कॉपी नहीं किया जा सकता है। इसमें बिलकुल संभव नहीं था कि वह दूसरे कंप्यूटर पर अपना डाटा कॉपी कर लेती है।

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लैब इंचार्ज ने पौधों में पानी देने के लिए बुलाया

विवि में जब लैब इंचार्ज महिला वहां पहुंची तो दरवाजा बंद था। दरवाजे को हिलाने पर उसकी कुंडी खुली तो छात्रा बेसुध थी। पुलिस ने मृतका का कोविड टेस्ट करवाया। टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आई है। मृतका के पिता ने बताया कि लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं, लेकिन लैब इंचार्ज महिला उसकी बेटी सोनिया को लैब में पौधों को पानी देने के लिए बुलाती थी। ऐसा कई बार देखने में आया है कि पीएचडी छात्रों से घरेलू काम भी लिया जाता है।

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पहले भी आ चुके है ऐसे मामले

जीजेयू में सुसाइड का यह पहला मामला नहीं है। इससे करीब तीन महीने पहले फतेहाबाद निवासी एक युवक का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे पर लटका मिला था। उसके पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ था।

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समय पर लेते संज्ञान तो बच जाती गोल्ड मेडलिस्ट

इस मामले में यह बात सामने आ रही है कि छात्रा पिछले काफी से उसके साथ हो रहे व्यवहार से दुखी थी। उसने विश्वविद्यालय के कुलपति को बकायदा ईमेल की थी। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छात्रा ने रविवार को भी देर रात विवि के आला अधिकारियों को फोन कर अपनी समस्या से अवगत करवाया था। अगर इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन संज्ञान लेता तो शायद गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा की जान बच सकती थी।

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मानसिक रूप से परेशान थी छात्रा - प्रो. छोकर

पीएचडी छात्रा पिछले करीब एक महीने से मानसिक रूप से परेशान थी। एमएससी में टॉपर रही है। उसने ऐसा कदम क्यों उठाया इस बारे में जानकारी नहीं है।

प्रो. विनोद छोकर, पूर्व एचओडी, बायो एंड नैनोटेक विभाग, जीजेयू।

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अभी कुछ नहीं कह सकती - प्रो. नमिता -

मामले में प्रो. नमिता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह इस बारे में अभी कुछ कहने की हालत में नहीं है।

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प्रो. अशोक चौधरी रिटायर हो रहे थे, उनका कंप्यूटर था, बाद में पता लगा कि यह पीएचडी छात्रा को दिया हुआ है। इसके बाद हमने मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट से दूसरा कंप्यूटर सर्वर इशू करवा लिया था। मामले में अवैध संबंध बनाने के दबाव की जानकारी नहीं थी।

प्रो. टंकेश्वर, कुलपति, जीजेयू।

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