Dr San Subbarao death: गांधीवादी पदमश्री डा. एसएन सुब्बाराव का निधन, रोहतक में शोक की लहर
पदमश्री डा. एसएन सुब्बाराव का निधन हो गया। निधन की सूचना के बाद उनके अनुयायियों में शोक की लहर है। रोहतक में डा. सुब्बाराव ने करीब एक हजार कार्यक्रमों में शिरकत की थी। हरियाणा युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश राठी के सुब्बाराव बेहद करीबी थी।
जागरण संवाददाता, रोहतकगांधीवादी और पदमश्री डा. एसएन सुब्बाराव का निधन हो गया। निधन की सूचना के बाद उनके अनुयायियों में शोक की लहर है। रोहतक में डा. सुब्बाराव ने करीब एक हजार कार्यक्रमों में शिरकत की थी। हरियाणा युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश राठी के सुब्बाराव बेहद करीबी थे। सुब्बाराव के निर्देश पर यहां सैकड़ों अभियान चलाए। खुद को राजनीति के बजाय समाजसेवा में सक्रिय होने का कारण भी सुब्बाराव का आशीर्वाद मानते है।
सुरेश राठी ने बताया कि 1970 में सबसे पहले मैं उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मिला था। उस दौरान हिंदी के लिए कार्य करने वाले लल्लन प्रसाद व्यास ने मुलाकात कराई थी। मुलाकात से पहले यही कहा था कि मैं तो छोटा दीया हूं, मैं आपको अनंत उर्जा के स्रोत अपने भाई जी से मिलवाऊंगा। सुब्बाराव को उनके अनुयायी भाई जी कहकर ही पुकारते थे। सुरेश राठी ने बताया कि मैंने उनका कभी नाम भी नहीं सुना था। जब मैं उनसे मिला तो मेरी उम्र भी करीब 20-22 साल थी। इन्होंने बताया कि भाई जी के आशीर्वाद का ही असर है कि वह निंदाना गांव में सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए। पंचायत का चुनाव लड़ा और महज 26-27 साल की उम्र में सरपंच बनने वालों में शुमार हुए। इसके बाद मार्केटिंग बोर्ड महम के चेयरमैन व कई को-आपरेटिव सोसाइटी के चेयरमैन व दूसरे पदों पर रहे।
राजनीति में न जाने का दिया संदेश, इसलिए समाजसेवा से जुड़े रहे
सुरेश राठी कहते हैं कि भाई जी के दुनिया के सभी राजनेताओं से बेहतर संबंध थे। उन्हें सभी अपना आदर्श और गुरु मानते थे। देश की प्रत्येक विषम परिस्थिति में जाने-माने राजनेता भी राय लेते थे। इन्होंने बताया कि भाई जी कहते थे कि राजनीति में मत जाना, धरातल पर जुड़कर काम करना। यही कारण रहा कि मैंने पंचायत चुनाव जीता, लेकिन राजनीतिक पार्टियों से नहीं जुड़ा। सुब्बाराव के साथ चलाए गए अभियानों का ही असर कहेंगे कि सुरेश राठी ने करीब 60 से अधिक देशों में नशा मुक्ति व विश्व शांति के लिए अभियान चलाए।
हरियाणा में भी नशामुक्ति के लिए कई अभियान चलाए। इनका कहना है कि भाई जी गए नहीं, बल्कि वह हमारे बीच अपने शांति संदेशों के कारण हमारे बीच में ही हैं। चंबल के बीहड़ में कई डकैतों को शांति का पाठ पढ़ाकर उन्हें सही मार्ग पर लाने वाले डा. एसएन सुब्बाराव (92 साल) का जयपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। सुरेश राठी अंतिम यात्रा में शिरकत करने के लिए रवाना हो गए।