चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले में प्रधान सचिव एमई जेई समेत कई लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित गाज गिरना तय

संवाद सहयोगीबरवाला नगरपालिक में चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले के मामले में पालिका

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:37 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:37 AM (IST)
चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले में प्रधान सचिव एमई जेई समेत कई लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित गाज गिरना तय
चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले में प्रधान सचिव एमई जेई समेत कई लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित गाज गिरना तय

संवाद सहयोगी,बरवाला : नगरपालिक में चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले के मामले में पालिका प्रधान, पालिका सचिव, म्यूनिसिपल इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, एलआइ, ऑडिटर, आरएओ समेत अन्य लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए हैं अब इन पर गाज गिरना तय है। नगर निगम की संयुक्त आयुक्त की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त लोगों ने स्ट्रीट लाइट के कार्यों में गंभीर अनियमितता बरती हैं। इससे विभाग को एक करोड़ से भी अधिक की हानि हुई है। इतना ही नहीं शहर में 334 एलईडी भी कम पाई गई। स्ट्रीट लाइट के इस गोलमाल के मामले को दैनिक जागरण ने भी प्रमुखता से उठाते हुए उजागर किया था। निकाय मंत्री अनिल विज के समक्ष यह घोटाला लाने के बाद इसकी जांच निगम की संयुक्त आयुक्त ने की।

नगरपालिका प्रशासन की मिलीभगत से सरकार को लगा करोड़ों का चूना

शहर के वार्ड 16 से पार्षद जगदीश गुलाटी व वार्ड 11 के पार्षद अनिल संदूजा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल, निकाय मंत्री अनिल विज, मुख्य सचिव, नगर निगम आयुक्त हिसार को जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियों के साथ पत्र भेजकर नगरपालिका बरवाला में स्ट्रीट लाइट मामले में गोलमाल करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाकर कार्रवाई की मांग की है। पार्षद गुलाटी ने कहा कि नगरपालिका के अधिकारियों, कर्मचारियों ने नगरपालिका प्रधान से मिलीभगत कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। उन्होंने कहा कि आज हालात यह है कि कागजों में बरवाला में स्ट्रीट लाइट के नाम चार करोड़ के लगभग की राशि खर्च करने के बावजूद शहर रात के समय में अंधेरे में डूबा रहता है। शहर की अधिकांश लाइटें खराब पड़ी है तो कहीं कागजों में ही स्ट्रीट लाइटें जलकर बंद हो गई।

बरवाला नगरपालिका ने टेंडर नियमों को ताक पर रखा

पार्षद जगदीश गुलाटी व पार्षद अनिल संदूजा ने कहा कि बरवाला में लगने वाली स्ट्रीट लाइट टेंडर में भी बरवाला नगरपालिका प्रशासन से नियमों को पूरी तरह से ताक पर रखा। शहर में स्ट्रीट लाइटों के लिए नगरपालिका बरवाला को 23 जनवरी 2019 को एक करोड़ 52 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। पालिका प्रशासन ने 27 मई 2019 को एक करोड़ 52 हजार का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया। बाद में इसे रिवाइज कर 3 करोड़ 98 लाख का कर दिया गया। गुलाटी व संदूजा के अनुसार म्युनिसिपल वर्कस रूलज 1976 के अनुसार रिवाइज अनुमान केवल 10 प्रतिशत करने का ही प्रावधान है। नियमानुसार यदि कोई का अनुमान 10 प्रतिशत से अधिक होता है तो सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति उपरांत नया टेंडर किया जाता है। लेकिन नगरपालिका प्रशासन ने नियमों की पूरी तरह धज्जियां उड़ाते हुए दोबारा टेंडर करने की बजाय उसी फर्म के नाम वर्क ऑर्डर जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच कमेटी में माना है कि नगरपालिका प्रशासन ने टेंडर मामले में गंभीर अनियमितता बरती है।

कागजों में लगी 1556 एलईडी लाइटें, टीम को लगी मिली 1222

पार्षद जगदीश गुलाटी व पार्षद अनिल संदूजा का कहना है कि बरवाला शहर में कागजों में 1556 एलईडी लाइटें लगी दिखाई गई। जब उन्होंने व वार्ड 11 के पार्षद अनिल संदूजा ने इन एलईडी लाइटों की जांच की मांग को लेकर शिकायत दी तो हिसार नगर निगम आयुक्त ने इसकी जांच बैठा दी। टीम ने जब जांच की तो शहर में 1556 की जगह 1222 एलईडी लाइटें ही पाई गई जबकि 334 एलईडी गायब मिली। उन्होने कहा कि टीम की जांच में पोलों को लगाने के लिए बनाए गए फाउंडेशन भी नियमानुसार नहीं मिले। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट टीम के अनुसार गायब मिली 334 एलईडी लाइटों से सरकार को लगभग 55 लाख की आर्थिक हानि हुई है। दोनों पार्षदों ने नगरपालिका प्रशासन पर बिल का भुगतान करने में भी नियमों की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा बिल भुगतान में नगरपालिका प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने अपने ही अधीनस्थ अधिकारी की बात को अनसुना कर दिया। उन्होंने कहा कि जब भुगतान के लिए बिल बरवाला नगरपालिका के लेखाकार के पास पहुंचा तो उन्होंने शहर में लगी एलईडी लाइटों का संबंधित स्टॉक रजिस्टर में कहा दर्ज किया गया है। कितनी लाइटें प्राप्त हुई है। बिल की अदायगी किस फंड से की जानी है आदि के बारे में पत्र लिखकर जवाब मांगा। लेकिन नगरपालिका में बैठे कुछ उच्चाधिकारी ने लेखाकर के पत्र का कोई जवाब ना देकर बिल का भुगतान करवा दिया गया।

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