गांवों- ढाणियों में शिक्षा की अलख जगाने वाले हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री चौधरी बहादुर सिंह नहीं रहे

हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री बहादुर सिंह का बुधवार को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। पैतृक गांव गागड़वास में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बड़े पुत्र जगदीप सिंह ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 01:47 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 01:47 PM (IST)
गांवों- ढाणियों में शिक्षा की अलख जगाने वाले हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री चौधरी बहादुर सिंह नहीं रहे
हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री चौधरी बहादुर सिंह को पैतृक गांव गागड़वास में बड़े पुत्र आईएएस जगदीप ने दी मुखाग्नि।

भिवानी/ढिगावा मंडी [मदन श्योराण] पूर्व शिक्षा मंत्री बहादुर सिंह का बुधवार को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। पैतृक गांव गागड़वास में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बड़े पुत्र जगदीप सिंह ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। छोटे पुत्र आईएएस संदीप तथा जगदीप सिंह ने अपने पिता को पुष्पांजलि अर्पित करके नम नेत्रों से अंतिम दर्शन किए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्होंने अपने सभी कार्यकर्ताओं से अंतिम यात्रा में न पहुंचने की अपील की थी। लेकिन फिर भी सैकड़ों को संख्या में लोग बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए अंतिम यात्रा में पहुंच गए।

किस्मत के धनी बहादुर सिंह एचसीएस पद से रिटायर होते ही राजनीति में आ गए थे। देवीलाल परिवार से नजदीकियों के कारण उन्हें सन 2000 में इनेलो से लोहारू हलके के लिए टिकट मिला था। पहले ही चुनाव में वे न केवल विधायक बन गए थे बल्कि विधायक बनते ही प्रदेश शिक्षा मंत्री भी बन गए। प्रदेश के गांव गांव और ढाणी में प्राथमिक पाठशाला खुलवाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।

करीब 87 साल पहले गांव गागड़वास के एक साधारण परिवार के जैलदार पूरणमल के घर मां जयकौर की कोख से जन्मे चौधरी बहादुर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव गागड़वास से 2 किलोमीटर दूर स्थित गांव बिसलवास से पढ़ाई की शुरुआत हुई। हाई शिक्षा के लिए झोझू स्कूल में पढ़ने के लिए गए, उसके बाद उच्च स्तरीय शिक्षा जाट कॉलेज रोहतक से पढ़ाई करने के बाद प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर 35 साल जनसेवा करने के बाद वर्ष 1996 में हरियाणा की सिविल सेवाओं से सेवानिवृत्त होने के बाद राजनीति की शुरुआत की।

वर्ष 1996 में हरियाणा की सिविल सेवाओं से सेवानिवृत्त होने के बाद भिवानी जिले के लोहारू निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए थे। पूर्व शिक्षा मंत्री ने लोहारू निर्वाचन क्षेत्र से तीन विधानसभा चुनाव लड़े चुके है ।वर्ष 2000, 2005 में इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर और 2014 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के टिकट पर चुनाव लड़ा था। चौधरी देवीलाल परिवार से नजदीकियों के कारण उन्हें सन 2000 में इनेलो से लोहारू हलके के लिए टिकट मिला था। पहले ही चुनाव में वे न केवल विधायक बन गए थे, बल्कि विधायक बनते ही प्रदेश शिक्षा मंत्री भी बन गए।

लोहारू क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां चारों ओर रेत के बड़े-बड़े टिल्ले नजर आते हैं वहां पर पूर्व शिक्षा मंत्री चौधरी बहादुर सिंह ने गांव गांव ढाणी ढाणी स्कूल खोले और क्षेत्र में कंप्यूटर शिक्षा और नैतिक शिक्षा का जनक माना जाता है।

हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री रहते हुए चौधरी बहादुर सिंह ने 5 से 6 किलोमीटर दायरे में सीनियर सेकेंडरी स्कूल बनाने का काम किया था, जिसका सबसे ज्यादा फायदा क्षेत्र की छात्राओं को मिल रहा है। इन सभी उपलब्धियों के साथ चौधरी देवी लाल परिवार के नजदीकी रहे पूर्व शिक्षा मंत्री चौधरी बहादुर सिंह ने मंगलवार देर रात ह्दय गति रुकने के कारण अंतिम सांस ली, जिनका बुधवार को पैतृक गांव गागड़वास में अंतिम संस्कार किया गया।

बड़े बेटे आईएएस जगदीप सिंह और छोटे पुत्र आईएएस संदीप ने अपने पिता को पुष्पांजलि अर्पित करके नम नेत्रों से अंतिम दर्शन किए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्होंने अपने सभी कार्यकर्ताओं से अंतिम यात्रा में न पहुंचने की अपील की थी। लेकिन फिर भी दर्जनो कि  संख्या में लोग बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए अंतिम यात्रा में पहुंचे।।

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