safe environment: पराली प्रबंधन पर फोकस, रोहतक में 61 हजार हेक्टेयर में की गई है धान की रोपाई

पराली प्रबंधन अपनाए जाने पर कृषि विभाग की ओर से विशेष रूप से फाेकस किया जा रहा है। इसके लिए तमाम योजनाएं चलाए जाने के साथ ही किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। किसानों से आह्वान किया जा रहा है कि वे फसल अवशेषों को न जलाएं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 09:09 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 09:09 AM (IST)
safe environment: पराली प्रबंधन पर फोकस, रोहतक में 61 हजार हेक्टेयर में की गई है धान की रोपाई
प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार पराली प्रबंधन को लेकर गंभीर नजर आ रही है

जागरण संवाददाता, रोहतक : सुरक्षित पर्यावरण के लिए पराली प्रबंधन अपनाए जाने पर कृषि विभाग की ओर से विशेष रूप से फाेकस किया जा रहा है। इसके लिए तमाम योजनाएं चलाए जाने के साथ ही किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। किसानों से आह्वान किया जा रहा है कि वे फसल अवशेषों को न जलाएं, बल्कि इन्हें भूमि में मिलाकर अपने खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। सरकार की ओर से किसानों को फसल प्रबंधन के लिए अनेक योजनाएं क्रियांवित की जा रही हैं।

पराली प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनरी पर अनुदान 80 फीसद तक किया गया है। कृषि अधिकारियों ने जिला के किसानों से इन योजनाओं को लाभ उठाने का आह्वान किया है। विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन संबंधित जानकारी किसानों को देने के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। जहां संपर्क कर किया इस विषय में कोई भी ताजा जानकारी हासिल कर सकते हैं।

जिले में इस बार 61 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि जिले के तमाम धान उत्पादक किसान पराली प्रबंधन मशीनरी का प्रयोग कर प्रदूषण से मुक्ति पाने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर फसलों की पैदावार में वृद्घि कर सकते है। पराली प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

किसानों को पराली प्रबंधन मशीनरी 50 प्रतिशत अनुदान, किसानों के समूह को कस्टम हायरिंग सेंटरों की स्थापना के लिए 80 प्रतिशत अनुदान और फसल अवशेषों को बेल बनाकर प्रबंधन करने पर सरकार की ओर से एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है। पराली को जलाने से हानिकारक गैसों से उत्सर्जन से श्वसन रोग बढ़ता है, भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इतना ही नहीं इससे हमारे मित्र कीट भी जमीन में ही नष्ट हो जाते हैं।

वर्तमान में फसल अवशेष प्रबंधन करना न केवल किसानों के लिए फायदेमंद होगा बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण भी होगा बेहतर पराली प्रबंधन से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण मिलता है और किसानों की रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है। इसके लिए किसानों को कृषि यंत्रों संबंधित तमाम योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए।

- कैप्टन मनोज कुमार, जिला उपायुक्त रोहतक ।

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