परिवार के पांच सदस्य हुए संक्रमित, दो कमरों में नियमों का सख्ती से पालन कर कोरोना को हराया

जागरण संवाददाता हिसार कोरोना का नाम सुनते ही पसीने छूट जाते हैं। ऐसे समय में जब हर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:27 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:27 PM (IST)
परिवार के पांच सदस्य हुए संक्रमित, दो कमरों में नियमों का सख्ती से पालन कर कोरोना को हराया
परिवार के पांच सदस्य हुए संक्रमित, दो कमरों में नियमों का सख्ती से पालन कर कोरोना को हराया

जागरण संवाददाता, हिसार : कोरोना का नाम सुनते ही पसीने छूट जाते हैं। ऐसे समय में जब हर तरफ मौत की कहानियां सुनाई दे रही हैं। तब कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने ²ढ़ निश्चय से इस बीमारी को हर भी रहे हैं। ऐसों की कहानी लोगों तक आना बहुत जरूरी है ताकि सकारात्म सोच बरकरार रहे। हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अटेंडेंट के पद पर तैनात वीरेंद्र के परिवार के पांच सदस्य हाल ही में कोरोना संक्रमित हो गए थे। क्वार्टर में दो कमरे और संक्रमित पांच, ऐसे में जगह भी कम थी मगर इस परिस्थिति में भी पूरे परिवार ने नियमों का कड़ाई से पालन किया और कोरोना को मात लेकर लौटे हैं। इस परिवार में युवा भी हैं तो बुजुर्ग मां भी थी। वीरेंद्र बताते हैं कि चिकित्सकों के संपर्क में हर समय रहे उसी हिसाब से उपचार को आगे बढ़ाया और सकारात्मक चीजों के बारे में सोचा और पढ़ा। जिससे उनकी रिकवरी इतनी तेज हुई कि पता भी नहीं चला कि कोई गंभीर बीमारी है। अब वीरेंद्र और उनके परिवार दूसरों को अपने अनुभव साझा कर संयमित रहने की जानकारी दे रहे हैं।

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इन नियमों का किया परिवार ने पालन

एचएयू के डीएसडब्ल्यू कार्यालय में कार्यरत वीरेंद्र बताते हैं कि उनकी 54 वर्षीय मां मारिया देवी, 34 वर्षीय वीरेंद्र व उनकी पत्नी कविता, छोटा भाई नवनीत व उसकी पत्नी सुधा सभी कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इसके साथ बच्चे भी थे। ऐसे में सभी लोगों ने होम आइसोलेशन में रहने का फैसला लिया। सभी अलग-अलग सोए ताकि शारीरिक दूरी रहे। हल्के लक्षण मिलने पर ही टेस्ट करा लिया। इसके बाद एचएयू के कैंपस अस्पताल में चिकित्सकों का परामर्श लेकर उपचार शुरू कर लिया। दैनिक क्रियाओं में खुद को सकारात्मक रखना, योग करना, मास्क लगाना, शारीरिक दूरी और हाथ साफ करने जैसे काम किए। घर में एक दूसरे का मानसिक सहयोग किया। जिससे दिन कैसे कट गए पता ही नहीं चला।

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चिकित्सकों की रही अहम भूमिका

वीरेंद्र बताते हैं कि चिकित्सक वास्तव में भगवान का रूप हैं। कैंपस अस्पताल में डा. सुरभी गुप्ता दिन में तीन बार फोन कर परिवार का हाल जानती थी। ऑक्सीजन स्तर, बुखार नापना, दवा समय से लेना और संतुलित आहार लेने को लेकर उन्होंने नियम बनाए हुए थे जिसकी रिपोर्ट रोज वह पूछतीं। यही कारण रहा है कि समय पर उचित चिकित्सकीय सलाह और जागरुकता से अब पूरा परिवार खतरे से बाहर है।

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