Driving license के लिए रेडक्रास के भरोसे ही नहीं होगी फर्स्ट एड ट्रेनिंग, हिसार में प्राइवेट अस्पताल भी आए आगे
पहले लर्निंग फिर परमानेंट लाइसेंस के लिए भी इसमें फीस देनी होती है। मगर हीककत में फर्स्ट एड ट्रेनिंग एक प्रोसेस के रूप में ली जाती है। कभी भी इस प्रशिक्षण को गंभीरता से नहीं दिया। अब प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण कार्यालय हिसार ने एक नई व्यवस्था लागू की है।
जागरण संवाददाता, हिसार। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो तो रेडक्रास में जाकर लोगों को फर्स्ट एड की ट्रेनिंग लेनी अनिवार्य है। इसके लिए एक शुल्क भी लिया जाता है। पहले लर्निंग के लाइसेंस बनवाने के दौरान फिर परमानेंट लाइसेंस के लिए भी इसमें फीस देनी होती है। मगर हीककत में यह ट्रेनिंग एक प्रोसेस के रूप में ली जाती है। कभी भी इस प्रशिक्षण को गंभीरता से नहीं दिया। रेडक्रास में एक प्रशिक्षक इसके प्रशिक्षण को देता है। इसको लेकर अब प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण कार्यालय हिसार ने एक नई व्यवस्था लागू की है।
जिसके तहत आरटीए डा सुनील कुमार ने प्राइवेट अस्पतालों से बात तो चिकित्सक इस प्रशिक्षण के लिए आगे आए हैं। अब लोग रेडक्रास के साथ-साथ लाइफ जिंदल अस्पताल, लाइन अस्पताल, सर्वोदय अस्पताल से भी फर्स्ट एड का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। अब इस प्रशिक्षण के लिए जो फीस आप रेडक्रास को दे रहे हैं उसी फीस पर प्राइवेट अस्पताल भी ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र देंगे।
अस्पतालों को क्यों प्रशिक्षण के लिए लाए
अस्पतालों को प्रशिक्षण का काम देना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वह रोजाना दुर्घटना के मामले देखते हैं। ऐसे में लोगों को दुर्घटना होने पर किस प्रकार से मरीज को उपचार देना है इसकी जानकारी एक चिकित्सक ही अच्छे से बता सकते हैं। कई बार देखने को मिला है कि दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में मरीज को एंबुलेंस में बिठाते समय में जल्दबाजी में ऐसे रखा जाता है कि उसकी हड्डी तक टूट जाती है। सिर्फ यह नहीं बल्कि सीपीआर कैसे देना है, मरीज को मौके पर क्या उपचार करने जैसी जानकारी हर व्यक्ति को हाेना आवश्यक है। यह जानकारी एक चिकित्सक या मेडिकल स्टाफ अच्छे से बता सकता है।
अस्पतालों के चिकित्सकों ने मुहिम को सराहा
इस मुहिम को अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी सराहा है। आरटीए डा. सुनील कुमार ने कहा कि अगर अन्य प्राइवेट अस्पताल भी आगे आएं तो वह लोगों को फर्स्ट एड प्रशिक्षण के माध्यम से सक्षम बना सकते हैं। यह भी लोगों की जान बचाने का एक जरिया है। उन्होंने बताया कि फर्स्ट एड एक व्यापक विषय है। अभी जब समय इतना आगे बढ़ चुका है तब भी लोग सड़क हादसों में जानकारी के अभाव में उपचार को तरसते रहते हैं जब तक एंबुलेंस आती है तब तो वह अपनी जान गंवा चुके होते हैं।