रोहतक में दीपावली पर केवल दो घंटे ही जला सकेंगे पटाखे, साइलेंस जोन के 100 मीटर में पूर्णतया रहेगा प्रतिबंध

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखे जलाने पर निर्देश जारी कर दिए हैं। नए निर्देशों के अनुसार केवल दो ही घंटे पटाखे जला सकेंगे। रोहतक डीसी कैप्टन मनोज कुमार के अनुसार रात के समय आठ से दस बजे तक ही ऐसा करने की अनुमति प्रदान की गई है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:55 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:55 AM (IST)
रोहतक में दीपावली पर केवल दो घंटे ही जला सकेंगे पटाखे, साइलेंस जोन के 100 मीटर में पूर्णतया रहेगा प्रतिबंध
दीवाली पर पटाखे नहीं जलाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आए निर्देश, सख्ती से करनी होगी पालना

जागरण संवाददाता, रोहतक : दीपावली पर्व से करीब 15 दिन पहले ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखे जलाने पर निर्देश जारी कर दिए हैं। नए निर्देशों के अनुसार केवल दो ही घंटे पटाखे जला सकेंगे। रोहतक डीसी कैप्टन मनोज कुमार के अनुसार रात के समय आठ से दस बजे तक ही ऐसा करने की अनुमति प्रदान की गई है। वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान एनसीआर क्षेत्र एवं कम गुणवत्ता की हवा वाले शहरों में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री व प्रयोग पर प्रतिबंध रहेगा।

-साइलेंस जोन में पूर्णतया प्रतिबंध

सभी साइलेंस जोन अर्थात अस्पताल, नर्सिंग होम प्राथामिक एवं जिला स्वास्थ्य केंद्रों, शैक्षणिक संस्थानों, न्यायालय, धार्मिक स्थानों की कम से कम एक सौ मीटर तक पटाखे जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

-इन पटाखों पर है रोक

लड़ियों और सांप की टिकिया पर रोक लगा दी गई है। आर्सेनिक, लिथियम, लेड, मरकरी, बेरियम और एल्यूमिनियम वाले पटाखे प्रतिबंधित हैं।

-क्या होते हैं ग्रीन पटाखे

तय सीमा में आवाज और धुएं वाले पटाखों को ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन यानी इको फ्रेंडली पटाखा माना है। ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। इनमें नाइट्रोजन आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फीसद तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं।

-इसलिए हानिकारक हैं सामान्य पटाखे

सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर डाई ऑक्साइड गैस निकलती हैं। जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होती हैं। पटाखों से सबसे ज्यादा नुकसान उन बुजुर्गों को होता है, जो एक तरफ बुढ़ापे का मार झेल रहे होते हैं और दूसरी तरफ तमाम बीमारियों से घिरे होते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी विनाशकारी हथियार से कम नहीं हैं। पटाखों की धुंध यानी स्माग से सांस फूलने, घबराहट, खांसी, हृदय और फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में संक्रमण, दमा का अटैक, गले में संक्रमण आदि के खतरे होते हैं।

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