बहादुरगढ़ फैक्ट्री में आग : पति व भतीजे को खो चुकी हीना रूंधे गले से बोली...सब कुछ खत्म हो गया

रबड़ फैक्ट्री में अचानक धमाके के साथ आग लगी। उस वक्त फैक्ट्री के अंदर कामगार गणेश उसकी पत्नी हीना साले का लड़का अमर कुमार थे। गणेश के दोनाें बच्चे निक्कू और टिंकू पड़ोसी के यहां पढ़ने गए थे। पूरा परिवार इसी में रहता था। दो लोग जिंदा जल गए।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 09:49 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 09:49 AM (IST)
बहादुरगढ़ फैक्ट्री में आग : पति व भतीजे को खो चुकी हीना रूंधे गले से बोली...सब कुछ खत्म हो गया
बहादुरगढ़ में पति और भतीजे के साथ सारा सामान भी जल गया और हीना और बच्‍चे ही बच सके

बहादुरगढ़/हिसार, जेएनएन। आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में आग में जली फैक्ट्री नंबर 1625 में रबड़ की सीट बनती थी। इसके एक तरफ गत्ते की फैक्ट्री है और दूसरी तरफ प्लास्टिक की। ये दोनों भी जल गईं। रबड़ फैक्ट्री में अचानक धमाके के साथ आग लगी। गेट के पास पड़े मैटीरियल ने आग पकड़ ली। उस वक्त फैक्ट्री के अंदर कामगार गणेश, उसकी पत्नी हीना, साले का लड़का अमर कुमार थे। गणेश के दोनाें बच्चे निक्कू और टिंकू पड़ोसी के यहां पढ़ने गए थे। पूरा परिवार इसी में रहता था। दिन-रात फैक्ट्री में काम चलता था। कामगार भी चार ही थे।

रात को गणेश काम में जुटा था। हीना बैठी थी और अमर पीछे गोदाम में सो रहा था। जैसे ही आग लगी तो हीना को तो गणेश ने जल्दी से बाहर की तरफ भगा दिया, लेकिन खुद बाहर निकलने की बजाय पीछे गोदाम में सो रहे अमर को जगाने के लिए चला गया मगर आग भड़क गई। उसके बाद दोनों में से काेई भी बाहर नहीं आ पाया। इधर हीना देर तक यहीं समझती रही कि पीछे से दोनों निकल गए होंगे, लेकिन जब देर रात तक कुछ अता-पता नहीं लगा तब उसने आपबीती ब्यां की। सुबह पुलिस ने सर्च किया तो दोनों के शव अंदर मिल गए।

इधर अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाने आई हीना की आंखें तो जैसे पथराई हुई थी। दो बच्चों के साथ हिना के पास सिर्फ एक जोड़ी कपड़ों के अलावा कुछ नहीं बचा, जो कुछ था वह पति और भतीजे के साथ ही जलकर राख हो गया। उसकी आवाज तो जैसे गले में अटकी थी...वह इतना ही बोली कि मेरे पति बच सकते थे, मगर पहले मुझे बचाया और फिर मेरे भतीजे को बचाने के प्रयास में खुद भी न बच सके। पति और भतीजे की जान तो गई ही, जो कुछ सामान और पैसे वगैरह था, सब कुछ जल गया। गनीमत यह रही कि बच्चे उस वक्त अंदर नहीं थे। मेन गेट के पास आग लगी थी। वहीं पर ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां हैं। ऐसे में गणेश और अमर ऊपर भी नहीं जा पाए।

प्लास्टिक फैक्ट्री से एक कामगार को निकाला

साथ लगती फैक्ट्री के कर्मचारी दलीप ने बताया कि वह अपनी फैक्ट्री में खाना खा रहा था। जब बाहर नजर गई तो देखा आग लगी है। इस पर वह भागकर बाहर आया। तब तक आग कोने पर बनी प्लास्टिक फैक्ट्री (1626) के गेट तक पहुंच गई थी। उसी पल देखा कि पिछले हिस्से में बने दूसरे गेट के पास से एक कर्मी अंदर से खिड़की को पीट रहा है। तब वह और अन्य कर्मचारी रॉड लेकर आए। खिड़की तोड़ी और उसे निकाला। शुक्र यह था कि वहां तक आग बाद में पहुंची।

छह माह से कर रहे थे काम

इस हादसे में जान गंवाने वाला गणेश (37) मूल रूप से बिहार के अररिया जिले के गांव पकरी का रहने वाला था। उसकी पत्नी हीना का भतीजा अमर (19) भी उनके पास ही रहता था। छह माह से गणेश, उसकी पत्नी हीना और दोनों बच्चों के अलावा अमर भी उनके साथ ही फैक्ट्री नंबर 1625 में आया था। यहीं पर गणेश व अमर काम करते थे।

फैक्ट्रियों में सुरक्षा इंतजामों की कमी, बार-बार हो रहे जानलेवा हादसे

आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में तीन फैक्ट्रियों के अंदर एक बार फिर आग की घटना हुई, जिसमें दो जिंदगी भेंट चढ़ गईं। बार-बार हो रहे इस तरह के जानलेवा हादसे सुरक्षा इंतजामों की कमी के परिणाम के रूप में सामने आ रहे हैं। फैक्ट्री भवनों का निर्माण नियमों के हिसाब से न होना, उनके अंदर उत्पादन को लेकर उदासीनता और सुरक्षा के इंतजाम की कमी समेत तमाम पहलुओं पर घोर लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि साल-छह महीने में कोई न कोई ऐसा बड़ा हादसा होता ही है जब यहां कामगारों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। 28 फरवरी 2020 में हुए भयानक विस्फोट में चार फैक्ट्री ढह गई थी और चार में आग लगी थी। इस घटना में फैक्ट्री मालिक समेत 10 लोगाें की माैत हो गई थी। इससे पहले 20 सितंबर 2019 को कूलर फैक्ट्री में आग की घटना में दो इंजीनियरों की मौत हो गई थी। इससे पहले भी ऐसे जानलेवा हादसे होते रहे हैं। अब एक बार फिर ऐसा ही हुआ।

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