बीटी नरमा की लगातार काश्त से भूमि की उर्वरक शक्ति हो रही कम, किसान ग्वार लगाकर बढ़ा सकते हैं ऊपजाऊ शक्ति
ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायु मण्डल से नाइट्रोजन ले कर पौधे को देती है। ग्वार की फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते है। नरमे की फसल को ग्वार की फसल चक्र में रखना किसान के लिए बहुत हितकारी है।
हिसार, जेएनएन। हिसार जिले के गांव सदलपुर में कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर के तत्वावधान में किसानाें काे ग्वार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसमें हरियाणा में ग्वार का बारानी क्षेत्रों में महत्ता काे बताया। यह खरीफ की एक मुख्य फसल जानी जाती है। जाेकि सूखे का सहन करने में काफी क्षमता रखती है। यह फसल कम खर्च करके अधिक आमदनी देती है तथा इसके साथ-साथ यह भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है जो आगामी सरसों व गेहूं की फसल के लिए बहुत फायदेमंद है। जिन खेतों में ग्वार की फसल बोई गई है उसके बाद बिजाई की गई गेहूं तथा सरसों के फसल में 20 से 25 फीसद नाइट्रोजन की बचत होती है तथा गेहूं और सरसों की पैदावार भी अधिक मिलती है।
ग्वार के पत्ते बन जाते हैं जैविक खाद
ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायु मण्डल से नाइट्रोजन ले कर पौधे को देती है। ग्वार की फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते है। नरमे की फसल को ग्वार की फसल चक्र में रखना किसान के लिए बहुत हितकारी है। ग्वार उत्पादक क्षेत्रों में बीटी नरमा की लगातार बिजाई के कारण भूमि में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है जिसके चलते किसान पूरी पैदावार नहीं ले पाते।
किसान यह उपाए अपनाएं
- क्षेत्र के कई गांवों में कुछ दिन पहले अच्छी बारिश हो गई है और उस बारिश पर किसानों ने ग्वार फसल की बिजाई की है अगर किसी कारण जिन गावों के किसान अभी तक ग्वार की बिजाई नहीं कर पायें हैं वह बची हुई बिजाई 10 जुलाई तक पूरी कर लें इसके बाद पैदावार में ज्यादा कमी होनी शुरू हो जाती है।
- बिजाई के लिए किसान ग्वार की उन्नत किस्में एचजी 365, एचजी 563 तथा एचजी 2-20 अपनाएं।
- ग्वार फसल में जडग़लन रोग एक मुख्य बीमारी आती है जिसकी रोकथाम के 3 ग्राम कार्बान्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रति किलो बीज की दर से सुखा उपचारित करने के बाद ही बिजाई करनी चाहिए। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिषत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।
- जडग़लन रोग का इलाज मात्र 15 रूपये के बीज उपचार से संभव है। इस बीमारी के रोकथाम में बीज उपचार ही एक मात्र समाधान है।
- खाद की मात्रा पर बोलते हुए डॉ. यादव ने कहा कि बिजाई के समय 100 किलो सुपर फास्फेट तथा 15 किलो यूरिया या 35 किलो डीएपी प्रति एकड़ हिसाब से ड्रिल करें। अगर जमीन में जिंक की कमी हो उस अवस्था में 10 किलो जिंक प्रति एकड़ बिजाई समय डालें।
- ग्वार की खड़ी फसल में चौड़े पत्ते वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए कोई भी खरपतवारनाशक दवा का प्रयोग न करें इससे ग्वार फसल के पत्ते पीले हो जाते हैं तथा ग्वार फसल की बढ़वार 12-15 दिन तक रूक जाती है इसका दुष्प्रभाव आगामी सरसों की फसल के जमाव, बढ़वार व पैदावार काफी पड़ता है।