किसान जलाने लगे गेहूं के अवशेष, सिरसा में 15 किसानों पर लगाया गया जुर्माना

कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. बाबूलाल ने सभी कृषि विकास अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में फसली अवशेष जलाने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। यदि कोई किसान अवशेषों में आग लगाए पाया जाता है तो वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंडनीय अपराध है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 05:56 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 05:56 PM (IST)
किसान जलाने लगे गेहूं के अवशेष, सिरसा में 15 किसानों पर लगाया गया जुर्माना
किसान फसल अवशेष जलाने लगे हैं और इससे प्रदूषण बढ़ेगा

सिरसा, जेएनएन। सिरसा जिला प्रशासन ने कोई भी फसली अवशेष जलाने पर पाबंदी लगाई हुई है। इसके बावजूद भी किसानों द्वारा गेहूं के फसली अवशेष जलाए जा रहे है। कृषि विभाग ने 15 किसानों पर जुर्माना किया है। इसी के साथ कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. बाबूलाल ने जिले के सभी कृषि विकास अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में फसली अवशेष जलाने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। यदि कोई किसान अवशेषों में आग लगाए पाया जाता है तो आईपीसी की धारा 188 सहपठित वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंडनीय अपराध है।

रात्रि व सुबह के समय लगा रहे हैं आग

गेहूं की जिन किसानों ने फसल कंबाइन से निकाली हुई है। इसमें बचे फसली अवशेष को आग लगाई जा रही है। अवशेष में ज्यादातर किसान रात्रि व सुबह के समय लगा रहे हैं। इसके बाद ट्रैक्टर से बुआई कर देते हैं। गेहूं का भूसा जलाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसी के साथ दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। क्योंकि सड़कों के किनारे धुआं होने से कुछ भी दिखाई नहीं देता है।

भूमि की उपजाऊ शक्ति होती है कमजोर

फसली अवशेष जलाए जाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है। इसी के साथ मिट्टी में विद्यमान मित्र कीटों की कमी होने के कारण जमीन में उपजाऊ शक्ति घटने लगती है। इससे प्रतिवर्ष उत्पादन कम होता है। इसी के साथ पशुओं के चारे में कमी होती है। किसान गेहूं के भूसा को जलाने की बजाए भूमि में मिलाने का कार्य करें। भूमि में अवशेष मल्चर, रोटावेटर, चोपर, स्ट्रारीपर, हैप्पीसीडर कृषि यंत्रों का प्रयोग करके अपने खेत में बचे हुए अवशेषों को भूमि में मिलाया जा सकता है। जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ सकती है।

-- - फसली अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके लिए जगह-जगह कृषि विकास अधिकारियों को निगरानी करने के निर्देश दिए गये हैं।

डा. बाबूलाल, कृषि उपनिदेशक, कृषि विभाग, सिरसा

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