केएमपी टोल दोबारा फ्री कराने बेहद कम पहुंचे किसान, भारी पुलिस बल तैनात, तनाव की बनी है स्थिति
आंदोलन के 107 दिनाें बाद मंगलवार 13 अप्रैल को इस टोल को चालू करवाया गया था। मगर अगले दिन आंदोलनकारियों द्वारा इस टोल को दोबारा से फ्री करवा दिया गया था। पुलिस ने इसे फिर खोला है। किसान इस टोल को फ्री करवाने के लिए अड़े हुए हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच केएमपी एक्सप्रेस-वे के मांडौठी टोल को फ्री रखना आंदोलनकारियों ने अब अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। यही वजह है कि अब आंदोलनकारी और खाप मिलकर इस टोल को 18 अप्रैल को फिर से फ्री कराने पहुंचे हैं मगर संख्या काफी कम है। वहीं यहां भारी पुलिस बल तैनात है और कम संख्या के कारण किसानों की आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही है। तनाव की स्थिति बनी हुई है। अगर किसानों की संख्या बढ़ती है तो टकराव होना लाजमी है। मगर किसानों की संख्यां कम रही है और किसानों अब टोल को फ्री करने के लिए 22 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है।
दरअसल, पिछले कई दिनों से आंदोलनकारियों और पुलिस-प्रशासन में इस टोल को लेकर जारी खींचतान के बाद ही ये हालात बने हैं। 107 दिनाें बाद पुलिस-प्रशासन की ओर से मंगलवार 13 अप्रैल को इस टोल को चालू करवाया गया था। मगर किसान नेता गुरनाम चढूनी द्वारा वीडियो जारी किए जाने के बाद अगले ही दिन 14 अप्रैल को आंदोलनकारियों द्वारा इस टोल को दोबारा से फ्री करवा दिया गया था। इस बार प्रशासन भी पीछे नहीं हटा और 15 अप्रैल की देर सायं को पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने फिर से आंदोलनकारियों को यहां से खदेड़कर इस टोल को चालू करवा दिया था। इसके साथ ही टोल को फ्री करवाने वाले 125 आंदोलनकारियों पर एफआइआर भी दर्ज की थी।
इनमें गुरनाम चढूनी, उनके संगठन से सुमन हुड्डा व अन्य शामिल हैं। इसी मसले पर शुक्रवार को फिर से बैठक होने और दलाल खाप की ओर से रविवार 18 अप्रैल काे इस टोल को बंद करवाने के साथ ही यहां पर धरना शुरू करने के ऐलान से पुलिस-प्रशासन भी चौकस हो गया। रविवार दोपहर 12 बजे दलाल खाप की ओर से अन्य खापों को भी बुलाया गया। टीकरी बॉर्डर से भी आंदोलनकारी पहुंचें हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस-प्रशासन इस ऐलान को लेकर क्या रणनीति अपनाता है। उधर, टोल पर पुलिस और सुरक्षा बल तैनात हैं।
---बहादुरगढ़ डीएसपी पवन कुमार ने कहा कि पुलिस की कोशिश रहेगी कि आंदोलनकारियों को समझाया जाए और कानून-व्यवस्था बनाकर रखी जाए। टोल को इस तरह बंद रखना कानून के विपरीत है। यदि कोई टोल को फ्री करवाने के लिए आता है तो उन्हें शांति के साथ समझाया जाएगा। अगर किसी प्रकार का उपद्रव किया तो फिर उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।