Farmers Protest: गर्मी से सभा में थक जाते हैं आंदोलनकारी, पंडाल में ही ले पाते हैं नींद की झपकी

अब गर्मी भी प्रचंड हो रही है। ऐसे में टीकरी बार्डर पर चलने वाली रोजाना की सभा में शामिल होने वाले आंदोलनकारी जल्दी थक जा रहे हैं। पंडाल में पंखे और कूलर तो हैं लेकिन थके हुए आंदोलनकारी पंडाल में ही लेटकर नींद की झपकी लेते नजर आते हैं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 05:08 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 05:08 PM (IST)
Farmers Protest: गर्मी से सभा में थक जाते हैं आंदोलनकारी, पंडाल में ही ले पाते हैं नींद की झपकी
आंदोलनकारी मजबूरी में सभा में तो पहुंचते हैं, लेकिन आंदोलन लंबा खिंचने से अब शरीर भी जवाब देने लगा है

बहादुरगढ़, जेएनएन। आंदोलन को छह माह से ज्यादा वक्त बीत चुका है। अब गर्मी भी प्रचंड हो रही है। ऐसे में टीकरी बार्डर पर चलने वाली रोजाना की सभा में शामिल होने वाले आंदोलनकारी जल्दी थक जा रहे हैं। पंडाल में पंखे और कूलर तो हैं, लेकिन थके हुए आंदोलनकारी पंडाल में ही लेटकर नींद की झपकी लेते नजर आते हैं। ऐसे आंदोलनकारियों को यह भी मतलब नहीं होता कि मंच पर कौन वक्ता है और कौन नहीं। रोजाना मंच से सभा में शामिल होने का आह्वान किया जाता है। इसलिए ये आंदोलनकारी मजबूरी में अपने तंबुओं से निकलकर सभा में तो पहुंचते हैं, लेकिन आंदोलन लंबा खिंचने से अब शरीर भी जवाब देने लगा है। वैसे भी अब सभा में कम ही किसान पहुंच पा रहे हैं।

उनमें से भी काफी ऐसे होते हैं जो कुछ देर बाद वहीं पर सो जाते हैं। बता दें कि बार्डर पर इन दिनों आंदोलनकारियों की संख्या कम है। तंबू तो पहले जितने ही हैं, लेकिन काफी तंबुओं में अब एक भी आंदोलनकारी नजर नहीं आता। बाकी में भी संख्या काफी हद तक कम हो चुकी है।

बंदा बहादुर का जन्मदिवस मनाया

आंदोलन स्थल पर बुधवार को बंदा वीर बहादुर का जन्म दिवस मनाया गया। पूरा दिन मंच पर बंदा बहादुर से जुड़े गीत प्रस्तुत किए गए। शहीद भगत सिंह की भांजी भी यहां पर पहुंची। इस दिन वक्ता न के बराबर रहे। बंदा बहादुर के जीवन पर ही प्रस्तुति दी गई।

गर्मी से बचाव को लगाई जा रही छबील

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की ओर से बुधवार को आंदोलन स्थल पर शरबत की छबील लगाई गई। गर्मी अब बढ़ रही है। ऐसे में लू के प्रकोप से आंदोलनकारियों को बचाने के लिए ठंडे-मीठे जल की छबील लगी। इसको लेकर संगठन की ओर से ट्वीटर के जरिये भी जानकारी सांझा की। साथ ही इसमें बताया कि अब तक कुल मिलाकर आंदोलन से जुड़े लगभग 500 किसानों की मौत हो चुकी है।

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