किसान मशीनों से करें फसल अवशेष प्रबंधन

इसे जलाने की बजाय किसानों को आधुनिक मशीनों का प्रयोग कर उनका उचित प्रबंधन करना चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदूषण पर भी नियंत्रण हो सकेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:04 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:04 AM (IST)
किसान मशीनों से करें फसल अवशेष प्रबंधन
किसान मशीनों से करें फसल अवशेष प्रबंधन

जागरण संवाददाता, हिसार : फसलों के अवशेष किसानों के लिए एक प्रकार से सोना है। इसे जलाने की बजाय किसानों को आधुनिक मशीनों का प्रयोग कर उनका उचित प्रबंधन करना चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदूषण पर भी नियंत्रण हो सकेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। यह बातें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कही। वे विश्वविद्यालय में ऑनलाइन माध्यम से फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन में मशीनरी व अन्य तकनीकों की भूमिका विषय पर आयोजित वेबिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

वेबिनार का आयोजन विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिग विभाग की ओर से किया गया। वेबिनार के संयोजक कालेज के अधिष्ठाता डा. आरके झोरड़, जबकि सह आयोजक डा. मुकेश जैन रहे।

अवशेषों के उचित प्रबंधन से बढ़ा सकते हैं आमदनी

कुलसचिव डा. बीआर कंबोज ने कहा कि किसान फसल अवशेषों को मशीनों की सहायता से जमीन में मिला दें, ताकि इससे जमीन की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी हो सके और पर्यावरण प्रदूषण भी न हो। उन्होंने कहा कि इसे एक सामाजिक आंदोलन का रूप देते हुए सभी को व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेनी होगी तभी जाकर यह अभियान सफल होगा। कालेज के अधिष्ठाता डा. आरके झोरड़ ने बताया कि फसल अवशेषों के प्रबंधन से आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए बायोगैस, बायोचार, बिजली उत्पादन, कागज उद्योग आदि में इसका प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार फसल अवशेषों का विभिन्न तरीके से प्रबंधन कर किसान मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

वेबिनार के दौरान विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के अलावा हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (हरेड़ा), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अभियांत्रिकी विभाग सहित कई विशेषज्ञों व प्रगतिशील किसानों ने फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन और उसके विभिन्न उपयोगों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। वेबिनार में एचएयू के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक, कृषि विभाग के उप-निदेशक, एसडीओ, सहायक कृषि अभियंता सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।

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