किसान आंदोलन : सूनी हैं सड़कें, न ट्रैक्टरों की आवाजाही, न झंडों के साथ आंदोलनकारियों की कदमताल
टीकरी बॉर्डर और नया गांव चौक पर भले ही संभाएं रोजाना चलती हैं लेकिन 15 किलोमीटर तक फैले आंदोलन के बाकी हिस्से में अब न तो पहले की तरह ट्रैक्टरों की आवाजाही है और ही हाथों में झंडा थामे आंदोलनकारियों की वह कदमताल।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच अब सूनापन सा है। टीकरी बॉर्डर और नया गांव चौक पर भले ही संभाएं रोजाना चलती हैं, लेकिन 15 किलोमीटर तक फैले आंदोलन के बाकी हिस्से में अब न तो पहले की तरह ट्रैक्टरों की आवाजाही है और ही हाथों में झंडा थामे आंदोलनकारियों की वह कदमताल। संख्या भी पहले के मुकाबले 30 से 35 फीसद तक ही है। इतनी कम संख्या के बावजूद आंदोलन स्थल पर कई चीजों की कमी भी झेलनी पड़ रही है।
राशन, दूध, सब्जी की सप्लाई तो कम है ही, दूसरी व्यवस्थाओं को लेकर भी कई दिनों से आंदोलनकारी संगठनों के नेता प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करके लगातार डिमांड भी कर रहे हैं। बिजली और पानी की आंदोलनकारियों द्वारा लगातार कमी बताई जा रही है। फिलहाल अधिकारियों ने आश्वासन दिया है, मगर बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच इस आंदोलन को लेकर प्रशासन की चिंता भी बढ़ रही है। आंदोलन स्थल पर रोजाना पंजाब से सैकड़ों किसान आते हैं और इतने ही वापस लौटते हैं।
ये किसान आंदोलन स्थल पर चलने वाली सभाओं में भी शामिल होते हैं और बाजारों में खरीददारी के लिए भी आते हैं। मास्क का प्रयोग तो अधिकतर नहीं करते। इसी से चिंता यह है कि कोरोना संक्रमण कहीं बेकाबू न हो जाए। सरकार की ओर से तो किसानों से आंदोलन को फिलहाल खत्म करने और कोरोना के बाद फिर से शुरू करने की अपील की जा रही है, लेकिन किसान इस तरह की किसी अपील पर विचार करते नजर नहीं आ रहे हैं।
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