Farmer Protest: बहादुरगढ़ में आंदोलन में दो और किसानों की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होगा कारणों को खुलासा

बहादुरगढ़ में हुई किसानों की मौत की सूचना उनके स्वजनों को दे दी गई है। दिन में शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। दोनों किसानों की मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही इनकी मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 09:02 AM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 09:02 AM (IST)
Farmer Protest: बहादुरगढ़ में आंदोलन में दो और किसानों की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होगा कारणों को खुलासा
आंदोलन में देर रात दो और किसानों की मौत।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि सुधार कानून को रद करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में शुक्रवार रात दो और किसानों की मौत हो गई। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल में रखवा दिया। किसानों के स्वजनों को भी उनकी मौत की सूचना दे दी गई है। आज  दिन में शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। दोनों किसानों की मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है  पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही इनकी मौत के कारणों का पता चल सकेगा। इससे पहले भी वीरवार को पंजाब के एक ही गांव के दो किसानों की दो घंटे के अंतराल में मौत हो गई थी। उनके शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को किया गया था। उनकी मौत के कारणों का अभी अभी तक पता नहीं चल पाया है। 

पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

शुक्रवार रात को करीब 12:40  पर किसान आंदोलन में नजफगढ़ फ्लाईओवर के पास तंबू में रह रहे  जगतार सिंह पुत्र तेजाराम उम्र 57 वर्ष वासी गांव काबर बच्चा, फिरोजपुर, मृत अवस्था में पाया गया। वही शनिवार सुबह करीब 6:30 a.m. पर किसान आंदोलन में बिजली का पोल नंबर 260 नजदीक किसान चौक पर रह रहे करण सिंह उम्र 60 साल पुत्र बक्शी वासी शाहपुर कंडेला, जिला जींद, हरियाणा की भी मौत हो गई। करण सिंह सुबह दूध लेकर आया था, अचानक अज्ञात कारणों से मौत हो गई। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

कल रास्ता खुलता देख किसानों को फंसा था पेंच

आंदोलनकारियों ने दिल्ली व हरियाणा पुलिस के साथ बैठक में यह कहकर पेंच फंसाया था कि टीकरी बार्डर से चौपहिया वाहनों को रास्ता दिया तो यहां पर भी वीरवार जैसा हादसा होगा, जिसमें डंपर से कुचलकर तीन महिला किसानों की मौत हो गई थी। वहीं आंदोलनकारियों के विरोध से यह भी साफ हो गया कि वे यहां से रास्ता खोलने को तैयार नहीं है।

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