Farmer Protest: कहीं उखड़ चुके तंबू, कहीं लटके हैं ताले, कानून वापसी से आंदोलनकारियों के हौंसले बुलंद
आंदोलन स्थल पर हालात अब पहले जैसे नहीं हैं। कहां शुरुआत में 45 से 50 हजार किसान थे और अब यह संख्या करीब सात हजार पर सिमट गई है। लंगरों में भी प्रसाद चखने वालों की संख्या न के बराबर रह गई है। अधिकांश लंगर स्थल खाली पड़े रहते हैं।
बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। तीन कृषि सुधार कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में अब भी कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। आंदोलन को पूरा एक साल होने को हैं। अब जाकर इसके खत्म होने की उम्मीद जगी है। इस एक साल में किसानों ने बारिश, तूफान व कई तरह की घटनाएं झेली हैं। इन सब के बीच निराशा के दौर से उत्साह का दौर शुरू हुआ है। ऐसे में अब हम आंदोलन स्थल की बात करें तो टीकरी बार्डर से लेकर जाखौदा चौक तक एनएच 9 पर करीब 15 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस आंदोलन में कहीं तंबू उखड़ चुके हैं तो कहीं पर तंबुओं पर ताले लटक रहे हैं।
एमएसपी पर कानून, तीन कृषि कानूनों को संसद में रद होने
आंदोलन स्थल पर हालात भी अब पहले जैसे नहीं हैं। कहां शुरुआत में 45 से 50 हजार किसान थे और अब यह संख्या करीब सात हजार पर सिमट गई है। लंगरों में भी प्रसाद चखने वालों की संख्या न के बराबर रह गई है। अधिकांश लंगर स्थल खाली पड़े रहते हैं। आंदोलनकारियों की संख्या भले ही काफी कम है लेकिन हौंसले अब भी बुलंद हैं। कुल हिंद किसान सभा पंजाब के प्रधान सुरिंदर सिंह झंडियां ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को रद करने के ऐलान से वे खुश हैं लेकिन एमएसपी पर कानून बनने से पहले हम मानने वाले नहीं हैं।
अन्य मांगों के पूरा होने के बाद ही आंदोलन खत्म करने की बात कह रहे आंदोलनकारी
इतना ही नहीं जान गंवाने वाले किसानों को का न्याय दिलाने और मुकदमे रद करने के बाद ही यहां से लौटेंगे। बीकेयू हरियाणा के सचिव जियालाल ने कहा कि यह सरकार किसानों के सामने झुक गई है। अब हमारी जीत नजदीक है। रमेश सुडाना व धर्मेंद्र हुड्डा ने कहा कि हम यहां से ढोल नगाड़ों के साथ जीत कर जाएंगे और पूरे देश में किसानी लहर आएगी।