Farmer Protest: हरियाणा के संगठनों के निशाने पर आया संयुक्त किसान मोर्चा, लग रहे ये आरोप, जानें पूरा मामला

हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा से किसान नेता जगबीर घसौला का कहना है कि पंजाब से आए एक आंदोलनकारी की हत्या में पुलिस जांच के दौरान जो भी दोषी मिलेगें उनको कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 09:58 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 09:58 AM (IST)
Farmer Protest: हरियाणा के संगठनों के निशाने पर आया संयुक्त किसान मोर्चा, लग रहे ये आरोप, जानें पूरा मामला
हरियाणा के किसान संगठनों के निशाने पर आया संयुक्त किसान माेर्चा।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में सिंघु बार्डर पर पंजाब के एक युवक की नृशंस हत्या के बाद हरियाणा के किसान संगठनों के निशाने पर संयुक्त किसान माेर्चा आ गया है। इन संगठनों का आरोप है कि इस तरह की घटनाओं के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ही जिम्मेदार है, क्योकि आंदोलन स्थल पर जो भी कुछ होता है, वह मोर्चा की मर्जी से ही होता है। मोर्चा के गलत फैसलों पर जो सवाल उठाता है, उसको आंदोलन से बाहर कर दिया जाता है। इसी कारण आंदोलन कमजोर भी हो रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा तो हर बार की तरह पल्ला झाड़ा

हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा से किसान नेता जगबीर घसौला का कहना है कि पंजाब से आए एक आंदोलनकारी की हत्या में पुलिस जांच के दौरान जो भी दोषी मिलेगें, उनको कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, वह कम है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के रवैये काे देखते हुए हरियाणा की खाप पंचायतों को सीख लेकर सचेत रहना चाहिए। अगर भविष्य में कहीं पर भी खाप पंचायतों के किसी भी कार्यक्रम में कोई चूक हो जाती है तो संयुक्त किसान मोर्चा तो हर बार की तरह पल्ला झाड़ लेगा।

आंदोलनकारी किसानों को फंसा कर छोड़ देते हैं

सिंधु बार्डर पर जो घटना हुई है वह मोर्चा के बिल्कुल नाक के तले हुई। संयुक्त किसान मोर्चा अपने बचाव के लिए अक्सर अपना मुंह फेर लेता है। जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बगैर जानकारी दिए किसी भी बार्डर पर पत्ता तक नहीं हिलाया जाता। जब भी कोई इतनी बड़ी घटना घटती है तो उस घटना की तुरंत जानकारी मोर्चे के दो तीन नेताओं तक बार्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसानों द्वारा दी जाती है। उस समय मोर्चे के नेता जो भी फैसला देते हैं आंदोलनकारी उसी पर अमल करते है, लेकिन बाद में मोर्चे के वही नेता अपनी बात से पल्ला झाड़ते हुए मुकर जाते हैं और आंदोलनकारी किसानों को फंसा कर छोड़ देते हैं।

निहंग नेताओं का तालमेल नहीं बैठ पा रहा

संयुक्त किसान मोर्चा के 40 नेता सिंघु बार्डर पर हैं। ऐसा किसी सूरत में भी नहीं हो सकता की मौके पर मोर्चे के एक भी नेता को इस घटना की जानकारी न रही हो। अगर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता मौके पर पहुंचकर बीच-बचाव करते तो पंजाब के युवक की हत्या किसी सूरत में न होती और उसकी जान बचाई जा सकती थी। लंबे समय से देखने में आ रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ निहंग नेताओं का तालमेल नहीं बैठ पा रहा। इसलिए किसान मोर्चा के नेता निहंगों से दूरी बनाए हुए हैं। जो भी इस आंदोलन में मोर्चे से बाहर रहते हुए बार्डर के ऊपर आंदोलन लड़ता है तो संयुक्त किसान मोर्चा के नेता उसका बचाव करने की बजाय उसको फंसवाने का काम करते हैं।

आंदोलन में लगभग 700 किसानों ने अपनी जान दी

वहीं किसान नेता प्रदीप धनखड़ का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता आंदोलन की दिशा से भटककर इस आंदोलन पर नियंत्रण रखने में बिल्कुल फेल हो चुके हैं। इस प्रकार की घटनाओं की बार-बार पुनरावृति संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व की पोल खोल रही है। अगर संयुक्त मोर्चा के नेताओं का ध्यान किसान आंदोलन पर होता तो इस प्रकार की घटना किसी सूरत में घटित नहीं होती। संयुक्त किसान मोर्चा के कारण आंदोलन में 300 संगठनों से संख्या सिमटकर 50 तक रह गई है। किसान नेता विकल पचार का कहना है देश के इस बड़े किसान आंदोलन में ज्यादातर किसान नेता आज राजनीति के शिकार होकर अपनी महत्वाकांक्षा के वशीभूत हो चले हैं और उसको पूरा करने में जुटे हुए हैं। आंदोलन में लगभग 700 किसानों ने अपनी जान दी है, लेकिन योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत महत्वाकांक्षा के वशीभूत होकर हर मामले में सरकार की मदद कर रहे हैं। 

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