हरियाणा में आपस में उलझे किसान संगठन, मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत पर उठाए सवाल

मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली महापंचायत को लेकर हरियाणा में किसान संगठन आपस में उलझ गए हैं। महापंचायत को लेकर हरियाणा के किसान संगठनों ने सवाल उठाए हैं। इन संगठनों का कहना है कि पहले भी हरियाणा में की गई महापंचायतों ने आंदोलन को कमजोर कर दिया।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 04:59 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 04:59 PM (IST)
हरियाणा में आपस में उलझे किसान संगठन, मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत पर उठाए सवाल
मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत पर हरियाणा के किसान संगठनों ने उठाए सवाल।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को आहूत महापंचायत पर हरियाणा के किसान संगठनों ने सवाल उठाए हैं। इन संगठनों का कहना है कि पहले से ही हरियाणा में की गई महापंचायतों ने आंदोलन को कमजोर कर दिया। बाद में संयुक्त मोर्चा ने ही पंचायतों का आयोजन न करने का निर्णय लिया था, मगर अब मुजफ्फरनगर में फिर से आयोजन होना मोर्चा का फैसला पलटने जैसा है। हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा से किसान नेता जगबीर घसौला ने कहा कि पंजाब के मोगा में वहां की सरकार के निर्देश पर पुलिस द्वारा किसानों पर की गई बर्बरता निंदनीय है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था कि देश की तरक्की का रास्ता खेत खलिहान से होकर गुजरता है। इन महान नेताओं को छोड़कर किसी भी राजनीतिक पार्टी ने किसान हित में कोई फैसले नहीं लिए। सभी ने किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाए और सत्ता की सीढ़ी बनाया।

राजनीतिक पार्टियां किसानों की दशा के लिए जिम्मेदार

किसानों की इस दशा के सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार हैं। राजनेता हो या किसान नेता सभी परदे के पीछे किसान से छल करते हैं। किसान नेता विकल पचार ने कहा कि जिन महापंचायतों के कारण नौ महीने से आंदोलन कमजोर हुआ, अब उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में राकेश टिकैत द्वारा एक महापंचायत के नाम से जनता को बुलाकर एक राजनीतिक दल की घोषणा की जाएगी। किसान नेता प्रदीप धनखड़ ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया था कि आंदोलन में कहीं पर भी महापंचायत नहीं की जाएंगी लेकिन अब दोबारा से मोर्चा अपने ही फैसले को पलटते हुए चंदे का दुरुपयोग करके महापंचायतों का दौर शुरू कर रहा है। राकेश टिकैत की कथनी और करनी में फर्क मिला होगा तभी तो वहां के किसान साथ नहीं दे रहे, इसलिए हरियाणा से किसानों को बहला-फुसलाकर कर बुलाया जा रहा है।

आंदोलन को मजबूत करने की जरुरत

डा. शमशेर सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन में जान गंवा चुके किसानों के परिजनों की आर्थिक सहायता के लिए दिल नहीं पसीज रहा। मोर्चे के नेता असली मुद्दों से भटक कर सत्तारूढ़ या विपक्ष से पोषित पार्टियों से फंड लेने में मशगूल हो गए हैं और आंदोलन को 2022 से 2024 तक खींचकर अरबपति बनाना चाहते हैं। किसान नेता सुखदेव सिंह विर्क ने कहा कि आंदोलन को मजबूत करने की जरूरत है और तीन प्रदेशों से आगे बढ़ाकर संपूर्ण भारत का आंदोलन बनाना होगा।। एमएसपी की गारंटी, संपूर्ण किसान कर्ज मुक्ति व तीन कानूनों का समाधान करवा कर ही दम लेंगे।

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