विश्व की सबसे बढ़ी हड़प्पाकालीन साइटों में शुमार हरियाणा के राखीगढ़ी में फिर से शुरू होगी खोदाई

राखी गढ़ी गांव में यह सभ्यता 900 एकड़ भूमि में फैली हुई है। फरवरी में डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे नारनौंद के राखीगढ़ी गांव आएंगे और साइट का अवलोकन करेंगे। साइट में किस टीले से फिर खोदाई शुरू की जाए उसके बारे में जानकारी जुटाएंगे।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:37 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:37 PM (IST)
विश्व की सबसे बढ़ी हड़प्पाकालीन साइटों में शुमार हरियाणा के राखीगढ़ी में फिर से शुरू होगी खोदाई
राखीगढ़ी में खोदाई के दौरान कई चौकाने वाली चीजें मिल चुकी हैं

हिसार [चेतन सिंह] विश्व की सबसे बड़ी हड़प्पाकालीन साइटों में शामिल राखीगढ़ी में फिर से काम शुरू हो सकता है। 5000 साल पुरानी इस साइट पर जल्द से जल्द खोदाई होगी। फरवरी में डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे नारनौंद के राखीगढ़ी गांव आएंगे और साइट का एक बार फिर अवलोकन करेंगे। साइट में किस टीले से फिर खोदाई शुरू की जाए उसके बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसके बाद अपनी टीम को बुलाकर फिर यहां खोदाई का काम शुरू करवाएंगे। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार राखी गढ़ी गांव में यह सभ्यता 900 एकड़ भूमि में फैली हुई है।

राखीगढ़ी में खोदाई के दौरान हजारों साल पहले के नर कंकाल मिल चुके हैं। इन कंकालों के डीएनए की रिपोर्ट से पता चल चुका है कि आर्य यहीं के मूल निवासी थे। वह बाहर से आकर हिंदुस्तान में नहीं बसे थे। इसके अलावा खोदाई के दौरान बर्तन भी मिले थे। इन बर्तनों की जांच की गई तो पता चला कि हड़प्पा संस्कृति के लोग खाने में बड़े ही रोचक व्यंजनों का प्रयोग करते थे। वे खट्टी दाल तो विशेष रूप से पसंद करते थे, वहीं शहद और केले से बने मीठे चावल भी उनके भोजन में शामिल थे।

अभी तक महज एक फीसद जमीन पर हुई है खोदाई

राखीगढ़ी में महज एक फीसद जमीन पर ही खोदाई हुई है। यह सभ्यता 550 हेक्टेयर में फैली है। 1997 में इस सभ्यता का पहली बार पता चला और इन टीलों पर खोदाई शुरू की तो अनेक चौकानेवाले रहस्य दुनिया के सामने आते गए। अब सरकार इस गांव को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। राखीगढ़ में राज्य सरकार की ओर से म्यूजियम बनाया जा रहा है जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। हड़प्पाकालीन सभ्यता की इस साइट सबसे बड़ी साइट मानी जाती है और ये करीब साढ़े पांच सौ हैक्टेयर में फैली हुई है। इस पर 9 टीलें हैं, जिनमें से टीला नंबर एक, दो, चार, छह और सात पर खोदाई हो चुकी है।

फिर से करेंगे खोदाई - शिंदे

डेक्कन यूनिवर्सिटी पूणे के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. वसंत शिंदे ने कहा कि मैं फरवरी में राखीगढ़ी आ रहा हूं। हम फिर से साइट पर खोदाई करेंगे। इसके लिए साइट का अवलोकन किया जाएगा। उसके बाद कहां से और कब खोदाई शुरू करेंगे इसके बारे में विचार किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी