संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले ही हरियाणा के किसान संगठनों ने आंदोलन जारी रखने का किया ऐलान
टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन की आगामी रणनीति को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें 14 हरियाणा के किसान नेताओं ने शिरकत की और दो टोल कमेटियों ने हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा में लिए गए फैसलों पर अपनी सहमति जताई
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। आंदोलन को जारी रखने या खत्म करने को लेकर सिंघु बार्डर पर 4 दिसंबर को होने वाली बैठक से पहले ही हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन जारी रखने की घोषणा कर दी है। हरियाणा के किसान संगठन शुरू से ही संयुक्त किसान मोर्चा की राह से अलग चल रहे हैं तो वहीं कानून वापसी के बाद पंजाब के किसानों का रुख नरम पड़ गया है। वे घर वापसी का मन भी बना रहे हैं। हरियाणा के किसान संगठन उन पर दबाव भी बना रहे हैं कि वे ऐसा बयान न दें।
हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन की आगामी रणनीति को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें 14 हरियाणा के किसान नेताओं ने शिरकत की और दो टोल कमेटियों ने हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा में लिए गए फैसलों पर अपनी सहमति जताई जिनमें मुख्य रुप से खटकड टोल से सतवीर प्रधान एवं नरवाना टोल से डॉक्टर सिक्कम सौकंद किसान नेताओं में जगबीर घसोला,प्रदिप धनखड़,दुखदेव सिंह विर्क, नरेश सांगवान, विजय कुमार इमलोटा, लाभ सिंह, संदीप शास्त्री, अवतार सिंह, आत्माराम चोरड, जसबीर सिंह भट्टी, राजू बेनीवाल दलवीर सिंहरेढू इत्यादि
हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा से किसान नेता जगबीर घसौला प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि आज हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के अंदर मुख्य रूप से से फैसले लिए गए जिनमें
1-MSP लागत पर लाभप्रद मूल्य के साथ दाना दाना खरीद गारंटी कानून बनाया जाए
2-किसान आंदोलन के दौरान बनाए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं
3-आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को पंजाब सरकार की अनुसार हरियाणा के शहीद किसानों पंजाब सरकार से ₹100000 ज्यादा मुआवजे के साथ सरकारी नौकरी दी जाए
4-हरियाणा सरकार द्वारा लागू किए गए भूमि अधिग्रहण कानून को वापस लिया जाए
5-हरियाणा सरकार द्वारा शामलात भूमि को सरकार के अधीन कानून वापस लिया जाए
6-हरियाणा सरकार द्वारा संपत्ति क्षति आपूर्ति रिकवरी कानून भी वापस लिया जाए
किसान नेता जगबीर घसौला ने कहा कि जब तक उपरोक्त सभी मांगे सरकार पूरी नहीं करती तब तक आंदोलन यथास्थिति में चलता रहेगा और हरियाणा का किसान एक कदम भी पीछे नहीं रखेगा क्योंकि तीन कृषि कानून वापस लेने से किसान को कुछ भी नहीं मिला जबकि अगर एपीएमसी को बरकरार रखते हुए तीन कृषि कानून में संशोधन किया जाता तो उसमें किसान को खुला बाजार मिलता और किसान को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी से बाहर खरीददार मिलते और किसान को उसकी फसल का उचित भाव मिलता और आढ़तियों की लूट से छुटकारा मिलता लेकिन सरकार ने किसानों की एक बात ना सुनकर सिर्फ आढ़तियो की मांगों को पूरा किया है जो सरकार बार-बार एमएसबी पर कमेटी बनाने की बात कर रही है हम भारत सरकार से हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से मांग करते हैं कि आप कमेटी 3 कैसे कानूनों पर बनाकर उसमें संशोधन कर दीजिए लेकिन किसानों को एमएसपी लागत पर लाभप्रद मूल्य के साथ दाना दाना खरीद गारंटी कानून बनाकर किसानों की माली हालात को सुधारने के लिए तुरंत लागू करें
किसान नेता जगबीर घसौला ने कहा कि हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सामूहिक आमतौर पर फैसला लिया गया है कि सरकार और किसानों के बीच अगर कोई कमेटी बनाई जाती है और उस कमेटी के अंदर कोई भी किसान नेता उस कमेटी में शामिल होगा तो हरियाणा के किसान नेता और किसान उसका नेता का बहिष्कार करेंगे हरियाणा के किसान कमेटी नहीं MSP पर लागत पर लाभप्रद मूल्य के साथ दाना दाना खरीद गारंटी का कानून चाहती है ना कि कोई कमेटी का आडंबर के चक्कर में नहीं उलझना चाहते
किसान नेता प्रडीप धनखड़ ने कहा कि हरियाणा के संगठन लंबे समय से ही एमएसपी लागत पर लाभप्रद मूल्य की मांग उठाते रहे लेकिन कुछ आढती नेताओं ने हरियाणा के किसान संगठनों की मुख्य मांग को दबाकर सेकंड दर्जे पर रखा जिसका नुकसान आज देश एवं प्रदेश के किसानों को उठाना पड़ रहा है और आज आंदोलन लंबा खींचता नजर आ रहा है
नरवाना टोल कमेटी से डॉक्टर सिक्कम सौकंद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक किसानों की किसी भी मांग को पूरा नहीं किया है और किसानों की मुख्य मांग एमएसपी आज भी सरकार ने लटका रखी है संयुक्त किसान मोर्चा से भी हमारी अपील है की पूरे आंदोलन के दौरान महिलाओं की भागीदारी मजबूती के साथ रहे तो संयुक्त मोर्चे में हरियाणा की तरफ से कम से कम 5 महिलाओं नेत्रीयो को स्थान दिया जाए
खटकड़ टोल से पहलवान सतबीर प्रधान ने कहा कि जल्द ही हम हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में सभी 18 टोल कमेटियों से संपर्क करके हरियाणा सतर्की एक बड़ी किसान पंचायत का आयोजन किया जाएगा जिसमें एमएसपी लागत पर लाभप्रद मूल्य खरीद गारंटी के साथ कानून एवं अन्य हरियाणा के किसानों की मांगों को पूरा करवाने के लिए आंदोलन को मजबूत करने की रणनीति तैयार की जाएगी और हरियाणा की तरफ से किसी भी टोल कमेटी या कोई भी किसान संगठन आंदोलन वापसी पर सहमत नहीं है और आंदोलन जो का तो चलता रहेगा