किसान आंदोलन में कोरोना से मौत होने के बाद भी नहीं बदल रही सोच, टेस्टिंग और वैक्सीनेशन से दूरी

पश्चिम बंगाल से आई एक युवती की कोरोना संक्रमण से माैत के बाद भी आंदोलनकारियों की सोच नहीं बदल रही है। वे अभी भी टेस्टिंग और वैक्सीनेशन से दूरी बनाए हुए हैं। रोजाना टीकरी बॉर्डर पर सभा चल रही है। मंच और पंडाल में भीड़ बन रही है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 08:24 AM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 08:24 AM (IST)
किसान आंदोलन में कोरोना से मौत होने के बाद भी नहीं बदल रही सोच, टेस्टिंग और वैक्सीनेशन से दूरी
बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन के बीच 24 वर्षीय पश्चिम बंगाल की युवती की कोरोना से मौत हो गई थी

बहादुरगढ़, जेएनएन। दो दिन पहले टीकरी बॉर्डर पर पश्चिम बंगाल से आई एक युवती की कोरोना संक्रमण से माैत के बाद भी आंदोलनकारियों की सोच नहीं बदल रही है। वे अभी भी टेस्टिंग और वैक्सीनेशन से दूरी बनाए हुए हैं। रोजाना टीकरी बॉर्डर पर सभा चल रही है। मंच और पंडाल में भीड़ बन रही है। पंजाब से आंदोलनकारियों की आवाजाही भी जारी है। इससे संक्रमण के फैलाव का खतरा ज्यादा बना हुआ है।

फिलहाल जो हालात बने हुए हैं। उनमें इस तरह की लापरवाही कहीं ज्यादा खतरनाक बन रही है। आंदोलन स्थल पर चलने वाली सभाओं में किसान नेताओं द्वारा आंदोलनकारियों से कोरोना से बचाव के लिए गर्म पानी पीने का आह्वान तो किया जाता है मगर आंदोलन स्थल पर तो ट्रालियों और तंबुओं में खूब एसी भी चल रहे हैं और कोई किसान नेता खुद भी टेस्ट और वैक्सीनेशन कराने के लिए आगे नही आ रहा है।

ऐसे में आंदोलन के बीच संक्रमण कितने लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा, इसका पता भी नहीं चल पाएगा। इस बीच आंदोलनकारियों ने रविवार को पांच राज्यों के आज आने वाले चुनावी नतीजों पर भी निगाह टिका रखी है, क्योंकि किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में भाजपा के खिलाफ प्रचार किया था।

बता दें कि युवती की कोरोना से मौत होने के बावजूद किसानों ने शव यात्रा निकाली थी। जबकि कोरोना संक्रमित मृतक व्‍यक्ति के शव का एक निश्चित गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्‍कार किया जाता है। किसानों ने भीड़ में जब कोरोना संक्रमित मृत युवती की शव यात्रा निकाली तो इस दौरान संक्रमण फैलने का भय बना रहा। किसान आंदोलन के बीच यह पहली मौत थी। किसान अभी भी कोरोना को लेकर लापरवाह बने हुए हैं।

chat bot
आपका साथी