सिरसा में ठेकेदार की मनमानी के खिलाफ कर्मचारियों ने नागरिक अस्पताल में डाला महापड़ाव

कर्मचारियों का आरोप है कि ठेकेदार ने आउटसोर्सिंग पर लगे 11 कर्मचारियाें को हटा दिया था। कर्मचारियों को नौकरी पर दोबारा लिये जाने ठेकेदार द्वारा एफएसआइ और इपीएफ कर्मचारियों की तनख्वाह काटे गए थे उनकी सूची जारी करने दत्यादि मांगों को लेकर महापड़ाव लगाया गया है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 12:32 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 12:32 PM (IST)
सिरसा में ठेकेदार की मनमानी के खिलाफ कर्मचारियों ने नागरिक अस्पताल में डाला महापड़ाव
सिरसा में कर्मचारी बोले जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी, जारी रहेगा महापड़ाव

सिरसा, जेएनएन। नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों की ज्वाइनिंग को लेकर स्वास्थ्य विभाग में आऊटसोर्सिंग पालिसी के तहत कार्यरत कर्मचारियों ने नागरिक अस्पताल में महापड़ाव डाला। सुबह सवेरे ही जिलेभर से ठेके पर लगे कर्मचारी नागरिक अस्पताल में पहुंचना शुरू हो गए। नागरिक अस्पताल के गेट के समीप स्थित पार्क में कर्मचारियों ने धरना दिया। कर्मचारियों ने सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले धरना दिया। कर्मचारियों ने प्रधान अमित कुमार की अगुवाई में धरना दिया।

सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान मदन लाल खोथ ने बताया कि ठेकेदार ने आउटसोर्सिंग पर लगे 11 कर्मचारियाें को हटा दिया था। कर्मचारियों को नौकरी पर दोबारा लिये जाने, ठेकेदार द्वारा एफएसआइ और इपीएफ कर्मचारियों की तनख्वाह काटे गए थे, उनकी सूची जारी करने दत्यादि मांगों को लेकर महापड़ाव लगाया गया है। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी महापड़ाव जारी रहेगा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी कर्मचारी काम नहीं करेंगे।

इस मौके पर प्रधान अमित ने कहा कि विभाग के अधिकारी ठेकेदार के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। विभाग के महानिदेशक व प्रशासनिक अधिकारियों के बाद भी ठेकेदार की मनमानी बदस्तूर जारी है। आदेशों के बाद भी अभी तक हटाए गए कर्मचारियों को ज्वाइन नहीं करवाया गया है, जिसके कारण कर्मचारियों में विभाग के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों के रोष प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस बल मौके पर तैनात रहा।

कर्मचारी नेता ने कहा कि काम करने के बाद भी कर्मचारियों को नौकरी से निकालना दुर्भाग्यपूर्ण है। मजे की बात तो ये है कि वे स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे हैं, लेकिन आज तक विभाग ने उन्हें अपना कर्मचारी समझा ही नहीं। जब भी कर्मचारियों के हित की कोई बात होती है तो विभाग के अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, जिसके कारण कर्मचारी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। कोविड काल में भी हमने प्रथम पंक्ति में खड़े होकर ड्यूटी की, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इस ड्यूटी की कीमत नौकरी से हाथ धोकर चुकानी पड़ेगी।

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