Ellenabad By Poll: तीसरी बार ऐलनाबाद में होगा उपचुनाव, एक लाख 85 हजार मतदाता करेंगे विधायक का फैसला

ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र का तीसरा उप चुनाव 30 अक्टूबर को होगा। इससे पहले 1970 व 2010 में उप चुनाव हो चुका है। तीन बेल्ट में बंट रहे ऐलनाबाद हलका पूरी तरह राजस्थान के बार्डर से सटा हुआ है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 06:10 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 08:35 AM (IST)
Ellenabad By Poll: तीसरी बार ऐलनाबाद में होगा उपचुनाव, एक लाख 85 हजार मतदाता करेंगे विधायक का फैसला
ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र का तीसरा उप चुनाव 30 अक्टूबर को होगा।

जागरण संवाददाता, सिरसा। हरियाणा बनने के बाद ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र का तीसरा उप चुनाव 30 अक्टूबर को होगा। इससे पहले 1970 व 2010 में उप चुनाव हो चुका है। तीन बेल्ट में बंट रहे ऐलनाबाद हलका पूरी तरह राजस्थान के बार्डर से सटा हुआ है। उप चुनाव का उल्लेख करें तो पहले उप चुनाव 1970 में विशाल हरियाणा पार्टी से जीते लालचंद खोड का चुनाव न्यायालय में खारिज होने के बाद हुआ था। लालचंद खोड 12 मई 1968 को ओमप्रकाश चौटाला को हराकर 5331 मतों से जीते थे जिसे बाद में चुनौती दी गई थी। इस हलके से पहले विधायक 1967 में कांग्रेस की टिकट पर प्रताप सिंह चौटाला जीते और लालचंद खोड आजाद प्रत्याशी चुनाव हार गए थे।

2009 में ओपी चौटाला ऐलनाबाद से लड़े थे उपचुनाव

2009 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला उचाना व ऐलनाबाद से चुनाव लड़े थे। दोनों जगह चुनाव जीतने के बाद उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दे दिया था। यहां 2010 में उप चुनाव हुआ जिसमें अभय सिंह चौटाला ने चुनाव जीता और कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल पराजित हुए। इसके बाद वर्ष 2014 में हुए चुनाव में अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी के पवन बैनीवाल को हराया और इस चुनाव में अभय सिंह चौटाला को 69162 मत मिले।

सर्वाधिक मत प्राप्त करने का रिकार्ड भी अभय सिंह के नाम

यदि ऐलनाबाद क्षेत्र के सर्वाधिक मतों का रिकार्ड देखा जाए तो इनेलो के अभय सिंह को प्राप्त हुए हैं। उन्हें वर्ष 2014 के चुनाव 69162 मत मिले जबकि भाजपा के पवन बैनीवाल को 57627 मत इसी चुनाव में मिले थे। कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को 35383 मत मिले थे। वर्ष 2019 में अभय सिंह चौटाला फिर विधायक बने। उन्हें 57055 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि भाजपा के पवन बैनीवाल को 45133 मत प्राप्त हुए। वर्ष 2009 में ओमप्रकाश चौटाला को 64567 मत मिले थे।

भागीराम के नाम सर्वाधिक जीत का रिकार्ड

हरियाणा बनने के बाद से ही ऐलनाबाद हलका अस्तित्व में है और यहां से सर्वाधिक जीत का रिकार्ड पूर्व मंत्री भागीराम के नाम है। एक चुनाव में हारने के बावजूद वे 1977, 1982, 1987, 1996 व 2000 में इस हलके का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1977, 82 व 87 के चुनाव में भागीराम ने मनीराम केहरवाला को हराया। वर्ष 1991 में मनीराम केहरवाला ने भागीराम को पराजित किया।

कब कौन रहा विजयी

1967- प्रताप सिंह चौटाला, कांग्रेस

1968-लालचंद, विशाल हरियाणा पार्टी

1972- बृजलाल, कांग्रेस

1977- भागीराम, जनता पार्टी

1982 - भागीराम, लोकदल

1987- भागीराम, लोकदल

1991- मनीराम, कांग्रेस

1996- भागीराम, समता पार्टी

2000- भागीराम, इनेलो

2005- सुशील इंदौरा, इनेलो

2009- ओपी चौटाला, इनेलो

2010- अभय सिंह चौटाला, इनेलो

2014- अभय सिंह चौटाला, इनेलो

2019- अभय सिंह चौटाला, इनेलो

गांव में शुरू हुई चुनाव पर चर्चा

चुनाव घोषित होने के साथ ही गांवों में चुनावी रंग चढ़ना शुरू हो गया है। गांवों में मंगलवार को दोपहर बाद चुनावी चर्चाएं ही रही। अभय सिंह चौटाला के सामने कौन-कौन उम्मीदवार हो सकते हैं सबसे ज्यादा चर्चा इसी पर रही। कांग्रेस और भाजपा के संभावित उम्मीदवारों के बीच जन नायक जनता पार्टी के खाते में टिकट जाए तो उस पर भी चर्चाएं हो रही हैं। ग्रामीण फसली सीजन के बीच में आए चुनाव को लेकर बातचीत कर रहे हैं। हालांकि उनकी बातचीत ऐलनाबाद से शुरू होकर प्रदेश की राजनीति में ऐलनाबाद की भूमिका को लेकर भी हो रही है लेकिन मुख्य चर्चा पार्टियों के संभावित चेहरों पर है जो इस रण में उतरकर अपनी ताल ठोकेंगे।

नेताजी को नापनी होगी खेतों की पगडंडियां

चुनाव ऐसे वक्त आया है जब किसान खेत में व्यस्त है। अगले 20 दिन तक किसान को खेत से फुर्सत नहीं है। धान, ग्वार, बाजरा, मूंग की कटाई में लगा हुआ है। कपास भी खिली हुई है। किसान सीमांत हो या बड़ा जमींदार सभी को खेत में ही काम करना होगा। ऐसे में चुनावी मैदान में उतरी पार्टियों के नेताओं को खेतों में ही जनसंपर्क करना होगा। खेत-खलिहान के रास्तों पर अब नेताओं की गाड़ियां दौड़ती नजर आएंगी। खेत से ही वोट साधने के लिए कच्चे रास्ते पर नेताजी व उनके समर्थक पहुंचेंगे। या फिर देर रात तक साधना होगा संपर्क।

नहीं हो सकेगा रोड शो

चुनाव आयोग की हिदायतों के अनुसार किसी भी पार्टी को रोड शो की अनुमति नहीं होगी। वाहनों का बड़ा काफिला भी प्रतिबंधित रहेगा और बाइक रैली नहीं निकाली जा सकेगी। आयोग ने कोविड गाइड लाइन के तहत घर-घर जनसंपर्क में भी पांच व्यक्तियों को अनुमति दी है। इससे ज्यादा लोग इकट्ठे होकर वोट नहीं मांग सकते।

बड़ा नेता आए तो भी नहीं होगी भीड़

चुनाव आयोग ने मीटिंग को लेकर भी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसके तहत इंडोर में कुल क्षमता का 30 फीसद या फिर 200 व्यक्तियों से अधिक की भीड़ मीटिंग का हिस्सा नहीं हो सकती। इसी तरह खुले में क्षमता का 50 फीसद या हजार व्यक्ति से अधिक भीड़ नहीं हो सकती। वो भी उस स्थिति में जब स्टार कंपेनर की मीटिंग रखी गई हो वरना 500 से अधिक की अनुमति नहीं होगी।

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