ग्रामीण अंचल की आठ नारी-शक्तियां जो पुरुष-प्रधान कृषि को दे रहीं नया आयाम, भारत सरकार से सम्मानित

कोरोना के दौरान पिछले साल 2000 एकड़ में धान की खेती के पायलट प्रोजेक्ट में से 1700 एकड़ से अधिक जमीन में सैंपल पास हुए हैं। आइए इस नवरात्र कृषि सखी के रूप में सामने आईं फतेहाबाद की इन अष्टभुजा रूपी इन देवियों को नमन करें।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 05:43 PM (IST)
ग्रामीण अंचल की आठ नारी-शक्तियां जो पुरुष-प्रधान कृषि को दे रहीं नया आयाम, भारत सरकार से सम्मानित
फतेहाबाद में आठ महिला किसानों ने एक नया उदाहरण पेश किया है

फतेहाबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की आठ कृषि सखियां। ये सभी भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से महिला दिवस पर सम्मानित हुई हैं। ग्रामीण अंचल की ये नारी-शक्तियां पुरुष-प्रधान कृषि को नया आयाम दे रही हैं। एकमात्र फतेहाबाद जिले में भारत सरकार के पायलट प्रोजेक्ट-सस्टेनेबल राइस प्लेटफार्म को सफल बनाने में इन कृषि सखियों ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। कृषक समाज को सिखाया है कि कैसे फिजा के अनुकूल खेती की जाए। कैसे टपका सिंचाई कर बूंद-बूंद जल संरक्षित किया जा सकता है। कोरोना के दौरान पिछले साल 2000 एकड़ में धान की खेती के पायलट प्रोजेक्ट में से 1700 एकड़ से अधिक जमीन में सैंपल पास हुए हैं। आइए, इस नवरात्र कृषि सखी के रूप में सामने आईं अष्टभुजा रूपी इन देवियों को नमन करें।

पिछले महीने महिला दिवस पर जब सम्मान समारोह आयोजित हुआ तो हरियाणा की आठ नारी शक्तियां सम्मान के शिखर पर थीं। फतेहाबाद ब्लॉक की सिमरजीत कौर सहित रतिया ब्लॉक की प्रकाश देवी, पूजा रानी, रिया रानी, सीमा रानी, राजविंदर कौर, अनुबाला व मनीषा की इस उपलब्धि पर पूरे प्रदेश को नाज है। ऐसा इसलिए भी कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ीं इन नारी शक्तियों ने कोरोना काल जैसे दहशत के माहौल में खेती में वर्चस्व रखने वाले पुरुष-किसानों को पारिस्थितिकी अर्थात इकोलॉजी एवं शारीरिक लाभ वाली धान की खेती में तकनीकी सहायता दी।

पहली बार मिशन की महिलाओं ने मोर्चा संभाला

देश में ऐसा पहली बार हुआ जब ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कृषि को नया आयाम देने के लिए कदम उठाया है। 'पहला कदम' नाम से पिछले साल फतेहाबाद में शुरू पायलट प्रोजेक्ट को जिले की आठ महिलाओं ने संजीदगी से लिया।

ये है मकसद

 सस्टेनेबल राइस प्लेटफार्म की केंद्र सरकार की योजना को फलीभूत करना मुख्य मकसद था। तात्पर्य यह कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से स्वीकृत एवं अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप ऐसे धान की खेती को बढ़ावा देने का प्लेटफार्म जो वैश्विक स्तर पर इकोलॉजी व बॉडी के लिए लाभप्रद हो।

2000 एकड़ में से 1736 एकड़ की फसल लैब टेस्ट में पास

पायलट प्रोजेक्ट के तहत 2000 एकड़ में सस्टेनेबल राइस प्लेटफार्म के मानक अनुरूप धान की खेती का लक्ष्य रखा गया। इनमें से 1736 एकड़ की फसल लैब टेस्ट में पास हो गई।

आसान भी नहीं थी यह उपलब्धि

कृषि सखी गांव भिरड़ाना की सिमरजीत कौर बताती हैं कि शुरू में दिक्कत तो आई। लेकिन उन्होंने हिम्मत के साथ खेतों में जाकर किसानों को स्प्रे व खाद की जानकारी दी। रतिया खंड की प्रकाश देवी बताती हैं कि प्रशिक्षण के दौरान मिले अनुभवों को सांझा किया तो किसानों में भी भरोसा जागृत हुआ। नतीजा यह कि शुरुआत में ही 80 प्रशिक्षित किसानों में से 40 के सैंपल लैब टेस्ट में पास हो गए।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की आठ कृषि सखी

मिशन ने पहला कदम नामे पायलट प्रोजेक्ट के लिए स्वयं सहायता समूहों से आठ महिलाओं की टीम बनाई। टीम की सदस्यों का नाम महिला सखी रखा। इन्हें कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा इकोलॉजी एवं बॉडी फ्रेंडली धान की खेती की टाइमिंग, खाद की मात्रा एवं प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी गई।

आगे बढ़ आजमाई खेती

कृषि सखियों ने प्रशिक्षण के आधार पर खुद आगे बढ़कर खेती आजमाई। उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मिली। सिमरन बताती हैं कि उन्होंने अढ़ाई एकड़ जमीन में पारिस्थितिकी एवं शारीरिक लाभप्रद धान की खेती की। छह माह के सीजन में डेढ़ लाख रुपये इन्सेंटिव के मिले।

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यह बड़ा चैलेंज था। कारण कि पुरुष-प्रभुत्व वाले कृषि कार्य में पुरुषों को प्रेरित करना कठिन था। इन कृषि सखियों ने पहली बार आगे आकर बेहतरीन काम किया है। इन्हें भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव अलका उपाध्याय से सम्मान मिला है।  - रणविजय सिंह, जिला परियोजना समन्वयक

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