कसार गांव की घटना का असर : आंदोलनकारियों को आबादी क्षेत्र में जाने और तेज म्यूजिक बजाने की मनाही
कसार गांव के मुकेश को तेल डालकर जिंदा जलाने की घटना को टीकरी बार्डर पर विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने आत्महत्या ठहराया। किसान नेता प्रदीप धनखड़ की अध्यक्षता में यहां एक बैठक कर आंदोलनकारियों ने मांग की कि इस मामले में सरकार को गहनता से जांच करवानी चाहिए
बहादुरगढ़, जेएनएन। आंदोलन स्थल पर गए कसार गांव के मुकेश को तेल डालकर जिंदा जलाने की घटना को टीकरी बार्डर पर विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने आत्महत्या ठहराया। किसान नेता प्रदीप धनखड़ की अध्यक्षता में यहां एक बैठक कर आंदोलनकारियों ने मांग की कि इस मामले में सरकार को गहनता से जांच करवानी चाहिए। बाद में प्रेस वार्ता में आंदोलनकारियों ने कहा कि इस घटना को हत्या ठहराने के लिए सरकार ने जल्दबाजी दिखाई है। खुद मुख्यमंत्री ने इस पर बयान दिया।
किसान नेता जसवीर जसोला ने कहा कि इस मामले में पुलिस को पहले तमाम सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे। उत्तराखंड से किसान नेता भूपेंद्र रावत ने कहा कि जांच से पहले मुख्यमंत्री को बयान नहीं देना चाहिए था। किसान नेता महावीर सिंह ने कहा कि झोंपड़ियों में बैठे किसानों का बहादुरगढ़ के साथ लगते आबादी क्षेत्र में प्रवेश निषेध किया गया है। अनावश्यक रूप से कोई भी किसान ऊंची ध्वनि में अपने वाहन पर यंत्र भी नहीं बजाएंगे। अगर कोई किसी मामले को जातिगत रंग देता है तो वह गलत है। युवा दलित नेता संदीप शास्त्री ने कहा कि यह मामला आत्महत्या का है।
विपक्ष के नेता भी इस पर मौन साधे हुए है। तकनीकी सबूतों के आधार पर निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आंदोलन में सभी जाति व धर्मों के किसान हैं। इसको जाति विशेष पर केंद्रित करना गलत है। किसान नेताओं ने कहा कि कोई भी सबूत मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा लीगल कमेटी के समक्ष पेश करें। जींद में खाप नेताओं के समय स्थान के आधार पर जल्दी ही सर्वजात-सर्वखाप पंचायत करके किसानों की रिहाई के लिए सरकार तक संदेश पहुंचाया जाएगा और निर्दलीय विधायकों की भूमिका को लेकर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में कुलदीप ढांडा, जयपाल कुंडू, प्रोफेसर दलबीर सिंह, मनदीप मलिक, सिरसा से सुग्रीव, राजेश मलिक कप्तान दलाल, रणधीर छिकारा व अन्य प्रतिनिधि शामिल रहे।