Deaf Dumb School: हिसार के मूक बधिर विद्यालय को 12वीं की मान्यता देने के लिए 60 बार शिक्षा विभाग ने लगाए आब्जेक्शन

मूक बधिर विद्यार्थियों को 9वीं के बाद करनाल में आगे की पढ़ाई के लिए परीक्षा करने को मजबूर होना पड़ता था। मगर अब उन्हें बाहर के जिलों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए हिसार विद्यालय को 12वीं कक्षा तक की मान्यता दे दी है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:47 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:47 AM (IST)
Deaf Dumb School: हिसार के मूक बधिर विद्यालय को 12वीं की मान्यता देने के लिए 60 बार शिक्षा विभाग ने लगाए आब्जेक्शन
शिक्षा विभाग ने हिसार के मूक बधिर विद्यालय को 12वीं कक्षा तक की मान्यता दे दी है।

जागरण संवददाता, हिसार। हिसार के मूक बधिर विद्यार्थियों को 9वीं के बाद करनाल में आगे की पढ़ाई के लिए परीक्षा करने को मजबूर होना पड़ता था। मगर अब उन्हें बाहर के जिलों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए शिक्षा विभाग ने हिसार के मूक बधिर विद्यालय को 12वीं कक्षा तक की मान्यता दे दी है। मौजूदा में 80 से अधिक विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मगर कहानी इससे अलग है। इस विद्यालय को मान्यता के लिए एक वर्ष का समय लगा। जिसमें शिक्षा विभाग ने 60 से अधिक आब्जेक्शन लगाए। कभी दरवाजों के नाम पर तो कभी खिड़कियों को लेकर। एक समय तो ऐसा आया कि विद्यालय के संचालकों ने डीसी शिकायत तक कर दी। बहरहाल अब निशक्त जन कल्याण विद्यालय को 12वीं की मान्यता मिल गई है। अब विद्यार्थियों को करनाल पढ़ने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

पहले 16 दरवाजों को लेकर अटका था मामला

कुछ समय पहले मूक बधिर विद्यालय की 12वीं तक की क्लास 16 दरवाजों में फंस गई थी। एक महीने से अधिक समय होने के बावजूद शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन के दूसरे विभाग मान्यता की फाइल पर कुंडली मारकर बैठे रहे। किसी के पास लाख-दो लाख रुपये भी नहीं थे, जिससे कि 16 दरवाजों की अड़चन दूर की जा सके। इस विद्यालय में आसपास के जिलों से भी विद्यार्थी यहां पढ़ सकते थे।

अभी तक बच्चों को करनाल पढ़ने जाना पड़ता

करनाल में अभी तक मूक बधिरों के लिए 12वीं तक का विद्यालय है। हिसार के मूक बधिर विद्यालय 9वीं कक्षा तक संचालित है। इसको 12वीं तक अपग्रेड करने के लिए शिक्षा विभाग से स्कूल प्रबंधन अनुमति भी ले आया। स्कूल शुरू करने के लिए जब फाइल शिक्षा विभाग के पास लगाई तो उन्होंने नियमों को सामने रखकर इसे लटका दिया। एक महीने से अधिक समय होने के बावजूद इस फाइल पर जिला प्रशासन भी सकारात्मक रूख नहीं दिखा सका था।

दो दरवाजों के नियम ने लटकाया

नियमानुसार 12वीं तक के स्कूल को चलाने के लिए कक्षाओं में दो-दो गेट होने चाहिए, मगर हिसार के श्रवण एवं वाणु निशक्त विद्यालय में बने 16 कमरों में एक-एक ही दरवाजे हैं। इस नियम को इसलिए बनाया गया था कि कभी आग लग जाए तो विद्यार्थियों के पास दूसरे गेट निकलने के लिए रहे। मगर मूक बधिर विद्यालयों में तो विद्यार्थियों की संख्या ही कम होती है। शिक्षा विभाग ने 16 गेट न होने से मान्यता की फाइल पर आब्जेक्शन लगा दिया।

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