रोहतक में चलेंगी ईको फ्रेंडली बसें, आज खोले जाएंगे टेंडर, इधर निजी एजेंसी कोर्ट जाने की तैयारी में

जन उत्थान संघ को बीते साल बसों के संचालन का जिम्मा मिला था। नगर निगम ने टेंडर रद किए थे। इसलिए एजेंसी ने लीगल नोटिस भेजा था। अब एजेंसी अदालत जाने की तैयारी में है। अधिकारियों ने टेंडर किए। आज शाम को निगम कार्यालय में खोले जाएंगे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 01:57 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 01:57 PM (IST)
रोहतक में चलेंगी ईको फ्रेंडली बसें, आज खोले जाएंगे टेंडर, इधर निजी एजेंसी कोर्ट जाने की तैयारी में
नगर निगम ने जन उत्थान संघ को बसों के संचालन का जिम्मा फरवरी में दिया था।

हिसार/रोहतक, जेएनएन। ईको फ्रेंडली बसों के लिए शुक्रवार की शाम यानी आज ही टेंडर खोले जाएंगे। टेंडर खुलने से पहले एक फर्म ने लीगल नोटिस थमाया था। अब टेंडर खुलने से पहले ही संबंधित एजेंसी ने कोर्ट में जाने की चेतावनी दी है। इसलिए शाम को टेंडर खोले जाएंगे कि नहीं, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। एक निजी फर्म ने दावा किया है कि नगर निगम के अधिकारी मनमानी का रवैया अपना रहे हैं। पूरे मामले में विवाद खड़ा होता हुआ दिख रहा है।

बता दें कि बीते साल फरवरी में नगर निगम ने जींद रोड स्थित जन उत्थान संघ को बसों के संचालन का जिम्मा मिला था। एजेंसी ने दावा किया था कि कोरोना संक्रमण काल के चलते बसों के संचालन में अड़चन आई थी। इसलिए हमने नगर निगम को लीगल नोटिस भेजकर यही कहा था कि टेंडर हमारा रद न किया जाए। टेंडर रद होने की स्थिति में निजी फर्म ने नुकसान होने का दावा किया है। नगर निगम सभी विवादों को दरकिनार करते हुए कोर्ट पहुंचने की तैयारी में हैं। शाम तक कोर्ट पहुंचेंगे और टेंडर खुलने से पहले ही कोर्ट जाएंगे। फर्म से जुड़े पदाधिकारियों ने दावा किया है कि पिछले क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण(आरटीए) से अनुमति मांगी थी। बीते साल मार्च माह में अनुमति मिलने के दौरान ही कोरोना संक्रमण काल शुरू हो गया। इसलिए अप्रैल तक बसों के संचालन का मामला टल गया।

बीएस-4 और बीएस-6 श्रेणी की बसों के कारण हुई देरी

नगर निगम ने जन उत्थान संघ को बसों के संचालन का जिम्मा फरवरी में दिया था। बीते साल फरवरी के आखिर में वर्क आर्डर मिला था। निगम की शर्त के हिसाब से ट्रायल के तौर पर पांच सीएनजी(कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) बसों का संचालन होना था। उस दौरान बीएस-4 श्रेणी बसों के संचालन के लिए आरटीए कार्यालय से बसों के संचालन के लिए अनुमति का प्रावधान था। मार्च माह में लॉकडाउन के चलते बीएस-4 श्रेणी की बसों का टोटा कंपनियों में था। इसलिए नई बसें नहीं खरीदी जा सकीं।

बीएस-6 लागू होने से ठंडे बस्ते में चली गई थी योजना

अप्रैल माह से बीएस-6 श्रेणी की बसों के संचालन के लिए ही अनुमति का नियम देश में लागू हो गया। ऐसे में योजना पर अतिरिक्त खर्चा बढ़ने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। शर्तों के हिसाब से फर्म को नगर निगम में प्रति बस के हिसाब से 11-11 हजार रुपये जमा कराने थे। संबंधित फर्म को प्रति माह शुल्क जमा कराने से भी राहत नहीं मिली थी।

बीएस-4 श्रेणी से होता था हानिकारक गैसों का उत्सर्जन

विशेषज्ञों का मानना है कि बीएस-4 श्रेणी की बसों के संचालन से हवा में सल्फर का अधिक मिश्रण होता है। बताते हैं कि इससे नाइट्रोजन आक्साइड का भी अधिक उत्सर्जन होता है। प्रदूषण का प्रमुख कारक भी इन हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को माना जाता था। बसों का संचालन नए बस अड्डे से हिसार बाइपास चौक, नए बस अड्डे से जींद बाइपास चौक, नया बस अड्डा से सुनारिया जेल, बोहर से हिसार बाइपास चौक और बलियाना से जींद बाइपास आदि रूट पर होना था।

निगम अधिकारियों ने मनमानी की ः राजपाल

जन उत्थान संघ के प्रधान डा. राजपाल देशवाल ने बताया कि मुझे जानकारी हुई है कि शाम तक ईको फ्रेंडली बसों के लिए टेंडर खोले जाएंगे। इसलिए शाम तक कोर्ट जाऊंगा। नगर निगम के अधिकारियों ने मनमानी वाला रवैया अपनाया है। हमें अब कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है।

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