लॉकडाउन से एचबीएसई की पहली से आठवीं कक्षा तक की पुस्तकों का नहीं हो रहा वितरण, आदान-प्रदान से चलाएं काम
निदेशालय ने खुद जिला शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि कक्षा पहली से आठवीं तक पुस्तकें छप कर तो तैयार हैं पर लॉकडाउन के चलते उनका वितरण संभव नहीं है। ऐसे में फिलहाल विद्यार्थी अपने सीनियर्स जो पास होकर अगली कक्षा में जा चुके हैं उनकी पुस्तकें लेकर काम चलाएं।
भिवानी [सुरेश मेहरा] कोरोना महामारी ने विद्यालय शिक्षा निदेशालय को नि:शुल्क पुस्तक वितरण मामले में पुरानी परिपाटी पर ला दिया है। निदेशालय ने खुद जिला शिक्षा अधिकारियों और दूसरे अधिकारियों को कहा है कि कक्षा पहली से आठवीं तक पुस्तकें छप कर तो तैयार हैं पर लॉकडाउन के चलते उनका वितरण संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में फिलहाल विद्यार्थी अपने सीनियर्स जो पास होकर अगली कक्षा में जा चुके हैं उनकी पुस्तकें लेकर काम चलाएं। पढ़ाई किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
सत्र 2020-21 में नौ लाख बच्चों को 50 लाख पुस्तकाें का हुआ आदान प्रदान
विद्यालय शिक्षा निदेशालय के अनुसार प्रदेश में सत्र 2020-21 में नौ लाख बच्चों में 50 पुस्तकें आपस में आदान प्रदान की गई। इस परिपाटी को एकबार फिर से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी। आनलाइन ही सही पढ़ाई जारी रहनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने खुद पुस्तकों के पारस्परिक आदान प्रदान में लगे अध्यापकों की सराहना की
ऐसे अनेक अध्यापक हैं जो बच्चाें को आपसी आदान प्रदान से पुस्तकें सुलभ करा रहे हैं। इसकी जानकारी मिलने पर खुद मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने इस कार्य में लगे अध्यापकों से बात कर उनकी प्रशंसा की और इस कार्य को सराहा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए इस पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह पहल कोरोना महामारी पर काबू पाने में भी अहम साबित होगी।
पर्यावरण संरक्षण भी होगा और कागज भी बचेगा
विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा है कि पुस्तकों के पारस्परिक आदान प्रदान से पर्यावरण का संरक्षण होगा। पेड़ काट कर कागज नहीं बनाना पड़ेगा। इससे कागज की भी बचत होगी। इसमें आपस में मिल कर सबने सहयोग करना चाहिए।
पुस्तकोें के पारस्परिक लेन देन में स्कूल मुखिया निभाए अहम भूमिका :
निदेशालय ने पुस्तकों के पारस्परिक लेन देन में स्कूल मुखिया, कक्षा अघ्यापक और एमएमसी सदस्यों की मुख्य रूप से जिम्मेदारी तय की है। यह भी कहा है कि पुस्तकें लेते देते समय पूरी सावधानी बरतें। पुस्तकों को दो दिन ऐसी जगह पर रखें जहां उनको कोई हाथ न लगाएं। पुस्तकें लेने के बाद साबुन से हाथ धोएं। इससे पहले दूरभाष पर संपर्क कर पूरी जानकारी लें। अध्यापक इसमें सहयोग करे। कोरोना महामारी से बचाव के लिए जारी की एडवाइजरी का पालन पूरी तरह से किया जाए।
----निदेशालय से इस तरह का निर्देश आए हैं। इसमें पहले भी अध्यापक सहयोग करते रहे हैं। कोरोना महामारी से पूरी तरह से बचाव रखते हुए पुस्तकों के पारस्परिक लेने को सुचारू किया जाएगा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
रामअवतार शर्मा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, भिवानी।