सेवा के लिए ऐसा त्याग, दोनों बेटियों को मायके छोड़कर कोरोना से जंग में उतरीं बहादुरगढ़ की डा. शैली
यह कहानी है बहादुरगढ़ की डा. शैली दहिया की। सिविल अस्पताल की लैब इंचार्ज हैं। कोरोना की सैंपलिंग का जिम्मा है। पति सिविल अस्पताल में कोविड केयर के नोडल अफसर हैं। कोरोना काल में सेवा के लिए पति पत्नी ने काफी त्याग किए।
बहादुरगढ़, जेएनएन। सिविल अस्पताल की लैब इंचार्ज डा. शैली दहिया एक साल से कोरोना को लेकर ड्यूटी दे रही हैं। कोरोना की सैंपलिंग का जिम्मा डा. शैली का ही है। कोरोना के दोबारा से बढ़ते स्वरूप को लेकर डा. शैली फिर से बड़ी जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।
डा. शैली बताती हैं कि वर्ष 2020 में जब कोरोना महामारी आई थी तो उन्हें सैंपलिंग का इंचार्ज बनाया गया था। सिविल अस्पताल व फील्ड में मोबाइल टीमों से सैंपल करवाना और उनकी रिपोर्ट तैयार करना, यह सब उनके अधीन था। उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ मिलकर पहले सैंपल रिपोर्ट कलेक्ट करने और फिर उनकी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी निभाई। कोराेना पॉजिटिव आने के बाद संबंधित टीमों के मुखियाओं को सूचना देने का काम भी उनका ही था। तब उसकी केयर शुरू होती थी। अब भी यहीं काम शुरू हो गया है।
पति सिविल अस्पताल में कोविड केयर के नोडल अफसर
डा. शैली ने बताया कि उनके पति डा. बिजेंद्र भी सिविल अस्पताल में कोविड केयर के नोडल अफसर हैं। उनकी दो बेटियां हैं। दोनों छोटी हैं। बच्चों की परवरिश का बड़ा जिम्मा मां पर ही होता है। मगर कोरोना काल में उनकी ही नहीं बल्कि उनके पति डा. बिजेंद्र की ड्यूटी यहीं पर लगी हुई थी। ऐसे में जब जब काेरोना पीक पर था और दोनों पति-पत्नी को 24 घंटे काम करना पड़ा। ऐसे में अपनी दोनों बेटियों को मायके में छोड़ दिया। दोनों अपनी नानी के साथ रहतीं। उन्हें जब घर गए कई दिन हो जाते तो दोनों बेटियों को उनकी काफी याद आती थी। ऐसे में वो दोनों फोन करतीं और वह उन्हें समझा-बुझाकर मना लेतीं।
लोग जागरूक होंगे, तभी होगा कोरोना से बचाव
परिवार की जिम्मेदारी के बीच कोरोना की जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाने वाली डा. शैली बताती हैं कि लोगों को जागरूक होना होगा। जागरूकता से इस महामारी का बचाव किया जा सकता है। लोगों को कम से कम घर से बाहर निकलना है और घर से निकलते समय मास्क जरूर लगाना है। सार्वजनिक स्थानों पर शारीरिक दूरी बनाए रखनी होगी। तभी हम कोरोना को मात दे सकते हैं।
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