इन भारतीय नस्ल के कुत्तों में सूंघकर कोरोना वायरस पहचानने की क्षमता, 13 नस्लों पर चल रहा शोध

अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को सरकार ने 15 करोड़ का शोध प्रोजेक्ट दिया। देसी नस्ल के कुत्तों की विशेषताओं का पता लगाएंगे। पीएम मोदी ने मन की बात में इस पर जोर दिया था। भारतीय नस्ल के कुत्तों में और भी कई खासियतें हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:01 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 05:39 PM (IST)
इन भारतीय नस्ल के कुत्तों में सूंघकर कोरोना वायरस पहचानने की क्षमता, 13 नस्लों पर चल रहा शोध
भारतीय कुत्तों की 13 नस्लें अभी तक रिकॉर्ड में ही नहीं हैं। इन पर शोध चल रहा है।

वैभव शर्मा, हिसार। भारतीय नस्लों के कुत्ते विदेशी नस्लों के कुत्तों से कमतर नहीं हैं। दक्षिण भारत में पाया जाने वाले चिप्पीपराई नस्ल का कुत्ता कोरोना वायरस काे सूंघकर पता लगाने में सक्षम है। अगर देसी नस्ल के कुत्तों को प्रशिक्षण देकर बढ़ावा दिया जाए तो यह सेना, रेस्क्यू ऑपरेशन और पुलिस की मदद विदेशी नस्ल के कुत्तों की तुलना में अधिक अच्छे से कर सकते हैं।

हालांकि पिछले कई वर्षों में इन पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। मगर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले मन की बात कार्यक्रम में देसी नस्ल के कुत्तों पर देश का ध्यान आकर्षित किया तो अब विज्ञानियों ने इन नस्लों पर भी शोध शुरू कर दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) को हाल ही में सरकार ने 15 करोड़ रुपये का शोध प्रोजेक्ट दिया है। इस प्रोजेक्ट में विज्ञानी देसी नस्ल के कुत्तों की विशेषताएं पता लगाने का काम तो करेंगे साथ ही इन नस्लों का पंजीकरण भी कराएंगे।

कुत्तों की 13 नस्लें अभी भी रिकॉर्ड में नहीं

मन की बात कार्यक्रम से आइसीएआर को प्रेरणा मिली। इसके बाद से अभी तक तीन भारतीय नस्ल के कुत्तों की ब्रीड पंजीकृत हो चुकी है। इन्हें करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के माध्यम से पंजीकृत कराया गया है। इन नस्लों में राजपलयम, चिप्पीपराई आदि शामिल हैं। मगर देश की 13 नस्लें और बाकी हैं जिनकी खासियतें और उन्हें पहचान दिलानी जरूरी है। इसी कार्य को आइसीएआर कर रहा है।

अलग-अलग नस्लों की अलग खासियतें

देश में अलग-अलग क्षेत्रों में पाई जाने वाले भारतीय नस्ल के कुत्तों की अलग खासियतें हैं। इन्हें अधिक अच्छा भोजन न मिले फिर भी ये अपने आप को अच्छे तरीके से रख सकते हैं। किसी भी हालात में अपने आप को ढाल सकते हैं। मगर विदेशी नस्ल के कुत्तों के साथ ऐसा नहीं है। विदेशी नस्ल के कुत्तों की बात करें तो जो नस्ल ठंडे इलाकों की हैं, उन्हें ठंडा वातावरण चाहिए होता है। वहीं, कुछ गर्म क्षेत्रों में रहती हैं। मगर किसी दूसरे वातावरण में इनको परेशानियां होने लगती हैं। इसके साथ ही कई भारतीय नस्लें पूर्व में शिकार के लिए प्रयोग की जाती रहीं। इन्ही खासियतों का विज्ञानी करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवंशिक संसाधन ब्यूरो में पता लगा रहे हैं।

कुत्तों पर शोध के लिए सरकार ने दिया प्रोजेक्ट

आइसीएआर नई दिल्ली के पशु विज्ञान प्रभाग के उप महानिदेशक डॉ. बीएन त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार ने देसी नस्ल के कुत्तों पर शोध के लिए प्रोजेक्ट दिया है। हमारे विज्ञानी 13 नस्लों की खासियतों का पता लगा रहे हैं। जल्द ही देश में भारतीय नस्ल के कुत्तों को एक पहचान मिलेगी। फिर इनका प्रयोग सुरक्षा संस्थाओं द्वारा भी किया जा सकेगा।

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