PGI Strike: रोहतक पीजीआई में खाली पड़े चिकित्सक केबिन, ओपीडी में लगी लंबी कतारें

रोहतक पीजीआई में मंगलवार को सुबह ओपीडी में चिकित्सकों के केबिन खाली दिखाई दिए। कंसलटेंट के भरोसे व्यवस्था बनाने की सोच रहे पीजीआइ प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हो गए। आठ हजार की ओपीडी वाली पीजीआइ में रेेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल ने मरीजों को धक्के खाने पर मजबूर कर दिया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 12:37 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 12:37 PM (IST)
PGI Strike: रोहतक पीजीआई में खाली पड़े चिकित्सक केबिन, ओपीडी में लगी लंबी कतारें
रोहतक पीजीआई में चिकित्सकों को ढूंढ रहे मरीज, नाकाफी पड़े कंसलटेंट के इंतजाम

जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइ में रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल के कारण मंगलवार को सुबह ओपीडी में चिकित्सकों के केबिन खाली दिखाई दिए। कंसलटेंट के भरोसे व्यवस्था बनाने की सोच रहे पीजीआइ प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हो गए। आठ हजार की ओपीडी वाली पीजीआइ में रेेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल ने मरीजों को धक्के खाने पर मजबूर कर दिया। हर विभाग के ब्लाक के सामने मरीजों की लंबी लाइनें दिखाई दी। मरीजों को सामान्य तौर पर चेकअप के लिए घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है।

-वार्डों में भी परेशान रहे मरीज

रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल के कारण पीजीआइ के वार्डों में ड्यूटी का जिम्मा कंसलटेंट ने संभाला था। लेकिन रात के समय वार्ड केवल नर्सिंग स्टाफ के भरोसे ही चलते दिखाई दिए। मरीजों ने बताया कि रात के समय चिकित्सक केवल राउंड के लिए आए थे, उसके बाद तो समस्या होने पर नर्सें ही स्थिति संभाल रही थी।

-फोर्डा के आह्वान पर चल रही है हड़ताल

फैडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) के आह्वान पर रेजिडेंट डाक्टर एसोसिएशन ने सोमवार को पीजीआइ हड़ताल रखी। पीजी के पहले बैच आने में हो रही देर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। पीजी का पहला बैच नहीं आने से आरडीए पर वर्कलोड बढ़ गया है। पीजी काउंसिलिंग में इडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसके चलते मामला कोर्ट में विचाराधीन है। रेजिडेंट डाक्टर इस पर जल्द फैसला चाहते हैं।

वर्कलोड की वजह से उन्हें छुट्टी तक नहीं मिल पा रही हैं। रेजिडेंट डाक्टरों को दिन-रात सेवाएं देनी पड़ रही हैं। पीजी काउंसिलिंग में देरी की वजह से बैच लेट हो रहे हैं, ऐसे में उन्हें आने वाले समय में भी काफी दिन तक परेशान रहना होगा। वे केवल रुटीन सेवाओं को लेकर ही हड़ताल पर हैं।

डा. बलजीत, प्रधान, आरडीए।

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