फतेहाबाद में उच्चाधिकारियों को बिना सूचना दिए बना डाला डीएलएफ, कर दिया लाखों का कारोबार

हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में महिलाओं के समूह बनाकर जाए रहे हैं। इसके बाद गांव स्तर के समूह का क्लस्टर स्तर पर अलग से समूह बनाए जाते है। ये सब मिशन के अधिकारी की गाइडलाइन के अनुसार करते है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 05:18 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 05:18 PM (IST)
फतेहाबाद में उच्चाधिकारियों को बिना सूचना दिए बना डाला डीएलएफ, कर दिया लाखों का कारोबार
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में महिलाओं के समूह बनाए गए।

फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े अधिकारियों ने जिला लेवल फेडरेशन के तहत जिला आजीविका महिला महासंगठन का गठन करते हुए कई वर्षों तक कारोबार किया। इसकी भनक न तो जिले के अधिकारियों को लगने दी। न ही मिशन के पंचकुला बैठे अधिकारियों को। यहां तक की इसके बाबत जिले के विभिन्न विभागों से टेंडर भी लेते रहे। इसको लेकर आरटीआई भी लगाई। जिसमें जवाब में अधिकारी कहते रहे कि उन्होंने इस प्रकार का कोई संगठन नहीं बनाया हुआ। हालांकि बाद में आपसी शिकायतों के चलते विभागीय जांच हुई तो मिशन द्वारा गठित महासंगठन का पता चला और इसका खाता भी सीज हुआ।

हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन की सीईओ करवा रही जांच

दरअसल, हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में महिलाओं के समूह बनाकर जाए रहे हैं। इसके बाद गांव स्तर के समूह का क्लस्टर स्तर पर अलग से समूह बनाए जाते है। ये सब मिशन के अधिकारी की गाइडलाइन के अनुसार करते है। वहीं अधिकारियों ने इससे आगे बढ़कर जिला स्तर पर आजीविका महिला महासंगठन बनाया। आरोप है कि इसके बनाने के लिए मिशन के निदेशालय स्तर पर किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली गई। न ही इसकी किसी प्रकार की सूचना दी। इस संगठन के मार्फत अधिकारी महिलाओं को फायदा देने की बजाए खुद फायदा उठाने लग गए। इसे आफ दा रिकार्ड संचालित करते है। इसको लेकर के वीरेंद्र ने आरटीआई लगाई। जिसके जवाब में पहले बताया कि ऐसा समूह कहीं पर संचालित नहीं है, फिर इसकी आधी अधूरी सूचना दी।

शुरूआत में 9 महिलाओं को जोड़कर, ली पांच-पांच हजार फीस

आजीविका मिशन की डीएफएम यानी जिला कार्यात्मक प्रबंधक सुनीता की देखरेख में गठित इस समूह में गांव धारनिया की सुनीता को प्रधान बनाया गया, वहीं 9 सदस्यों को पदाधिकारी बनाते हुए प्रत्येक से पंजीकरण व अन्य खर्च के लिए 5 हजार रुपये प्रत्येक से फीस ली। इसे कंपनी एक्ट के अनुसार पंजीकृत करवाया गया। इसी संगठन के नाम पर विधायक, सांसद व प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यक्रम आयोजित करते हुए बजट जारी किया।

ऐसे की गई गड़बड़ी

कोरोना काल में महिलाओं ने मास्क बनाने के अलावा सेनिटाइजर सहित अनेक प्रकार का कारोबार किया। जो लाखों रुपये का था। इसका सीधा लाभ गांव स्तर पर बने महिलाओं के समूह को लाभ मिलना था, लेकिन मिशन के अधिकारियों ने मास्क सहित अन्य टेंडर के रुपये सीधे आजीविका महिला महासंगठन के खाते में रुपये जारी करवा दिए। इसमें महिलाओं की भूमिका लेने देने की न होकर अधिकारी ही बैंक खाते की देखभाल कर रहे थे। इसके अलावा टोहाना में आयोजित मनरेगा सम्मेलन, गीता जयंती व पेहवा कार्यक्रम सब में टेंडर में महिलाओं ने काम किया। जिसके लाखों रुपये आए, लेकिन रुपये आजीविका महासंगठन को जारी कर दिए, जबकि लाभ गांव के समूह की महिलाओं को मिलना था।

सुनीता समूह की प्रधान, फिर भी कह रही कि समूह नहीं बना हुआ : वीरेंद्र

मैंने आजीविका महिला महासंगठन के बारे में जानकारी मांगी, जिसमें जवाब में मेल से दिया गया। जिसमें सुनीता नाम की महिला ने बताया कि ऐसा समूह पंजीकृत नहीं है, लेकिन सुनीता ने नीचे इसी समूह की खुद का प्रधान बताया। जो मेल मैंने उच्चाधिकारियों को फारवर्ड कर दी। इसके बाद जांच चल रही है। उम्मीद है कि गठन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

- वीरेंद्र, आरटीआई कार्यकर्ता

मेरा काम सिर्फ इस बनाने तक का था : सुनीता

यह समूह महिलाओं ने खुद बनाया है। मेरा काम बस समूह बनाने में उसकी मदद करना था। सो हमने कर दी। अब समूह महिलाएं चला रही है। इसका आजीविका मिशन से वास्ता नहीं। आरटीआई में सूचनाएं इसलिए नहीं दे रहे थे कि अभी इसका पंजीकरण नहीं हुआ।

- सुनीता, जिला कार्यात्मक प्रबंधक, ग्रामीण आजीविका मिशन।

इस बारे में बताने के लिए बाध्य नहीं : प्रधान

हमारा आजीविका महिला महासंगठन सही कार्य कर रहा है। इसके तहत अपने अनेक प्रोजेक्ट पूरे किए हैं। इसके बारे में हम जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं।

- सुनीता धारनियां, प्रधान, आजीविका महिला महासंगठन।

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