फसल विविधिकरण अपनाकर आमदनी बढ़ाएं किसान
फसल विविधिकरण से किसान परंपरागत फसल चक्र को छोड़कर कम खपत कम पानी में बेहतर फसल ले सकते हैं।
जासं, हिसार : फसल विविधिकरण से किसान परंपरागत फसल चक्र को छोड़कर कम खपत, कम पानी एवं कम लागत वाली फसलों तथा आय बढ़ाने वाले अन्य गैर कृषि विकल्पों को अपनाकर अधिक मुनाफा ले सकते हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि फसल विविधिकरण अपनाने से किसान का जोखिम भी कम होता है। फसल विविधिकरण से किसानों का उत्पादन भी कई गुणा तक बढ़ सकता है और इससे आय भी पर्याप्त होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इसके साथ ही फसल विविधीकरण से मिट्टी की उपजाऊ एवं उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है तथा इससे भूमि में कीट नियंत्रण भी रहता है। उन्होंने बताया कि फसल विविधीकरण में मिश्रित मौसमी सब्जियों की काश्त विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। विविधिकरण किसानों की फसलों में तीव्रता से वृद्धि करके अधिक उत्पादन करने में मददगार होता है। इसके साथ ही किसान बागवानी फसलों में फल, फूल, सब्जी, खुम्भी, शहद उत्पादन के साथ-साथ छोटे उद्योग धंधे जैसे जैम, जैली, मुरब्बा, चटनी, अचार आदि में निवेश करके बागवानी संबंधित प्रसंस्करण इकाइयों से भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं । उन्होंने बताया कि कृषि के साथ पशुपालन, मुर्गी पालन, और बागवानी जैसी गतिविधियां भी किसानों की आय का अच्छा साधन होती हैं। इसके साथ ही ऐसी गतिविधियां वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित होती हैं। किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए फसल एवं कृषि विविधिकरण को अपनाएंगे तो सरकार के लक्ष्य को भी आसानी से पूरा किया जा सकेगा।