सिरसा में किसान मेला, किसानों ने सीखा पराली से भूमि को उपजाऊ बनाने का तरीका

सिरसा में जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही धान की पराली भूमि में मिलाकर कैसे हम उसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं इस बारे में भी बताया गया।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 05:45 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 05:45 PM (IST)
सिरसा में किसान मेला, किसानों ने सीखा पराली से भूमि को उपजाऊ बनाने का तरीका
सिरसा में जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन।

सिरसा, जागरण संवाददाता। कृषि विज्ञान केंद्र में सोमवार को जिला स्तरीय किसान मेला आयोजित किया गया। जिसमें को किसानों को फसल अवशेष प्रबंध व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेतीबाड़ी के तौर तरीके के बारे में जानकारी दी गई। मेले में किसानों ने दैनिक जागरण की पराली का समाधान है समझदारी मुहिम से जुड़ते हुए शपथ पत्र भरकर पराली न जलाने की शपथ ली। इससे पहले किसान मेले का शुभारंभ का मुख्यातिथि चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. रामनिवास व केंद्र के सीनियर कोडिनेटर देवेंद्र जाखड़ ने किया। मुख्यातिथि डा. रामनिवास ने परिसर में लगी स्टालों का भी अवलोकन किया। उन्होंने जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया।

पराली मिलने से खाद का करेगी काम

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. रामनिवास ने कहा कि धान की पराली भूमि में मिलने से उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। फसली अवशेष खाद का काम करेंगे। इससे डीएपी व यूरिया खाद बहुत कम मात्रा में डालनी पड़ेगी। इसी के साथ मिट्टी का तापमान सही रहेगा। जिससे पौधे की बढ़वार अच्छे से होने पर उत्पादन बढ़ेगा। इसी के साथ मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता ज्यादा होगी। उन्होंने बताया कि पराली को भूमि में मशीनों से मिलाया जा सकता है। इसी के साथ भूमि में गेहूं की सीधी बिजाई भी किसान कर सकते हैं। जो किसान भूमि में पराली मिला रहे हैं।

वह किसान दूसरे किसानों के मुकाबले अधिक उत्पादन फसलों का ले रहे हैं। क्योंकि पराली जलाने से सूक्ष्म जीव व मित्रकीट नष्ट होते है। विश्वविद्यालय के कृषि सलाहकार डा. सुनील ढांडा ने कहा कि पराली के धुआं से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पिछले कई दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है। इससे कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इसी के साथ बुजुर्ग व बीमार व्यक्तियों को घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। इसके लिए पराली न जलाकर प्रबंध करने का कार्य करें।

किसान करें सीधी बिजाई : डा. जाखड़

केंद्र के सीनियर कोडिनेटर डा. देवेंद्र जाखड़ ने कहा कि धान के खड़े फानों में गेहूं की सीधी बिजाई हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल व सुपर सीडर से की जा सकती है। इसके अलावा स्ट्रा चापर, मल्चर, मिट्टी पलटू हल फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोगी हैं। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जो किसान बेलर की सहायता से गांठ बनाकर रखना चाहता है, उसके लिए अनुदान भी दिया जा रहा है।

किसानों ने भरे शपथ पत्र

दैनिक जागरण की पराली का समाधान है समझदारी मुहिम के तहत जिलेभर से पहुंचे किसानों ने शपथ पत्र भरे। प्रगतिशील किसान सुखविंद्र सिंह, छिंद्रपाल, सरोज ने कहा कि दैनिक जागरण ने पराली प्रबंध के बारे में जागरूक करने के लिए बहुत ही अच्छी मुहिम चलाई हुई है। क्योंकि आज पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसी मुहिम की जरूरत है।

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