...और फिर आंगनों में गूंजने लगीं बेटियों की किलकारियां, झज्जर में इस पहल से 17 गांवों का लिंगानुपात सुधरा

झज्जर में 25 गांवों में लिंगानुपात था। इसमें सुधार के लिए धापा ताई अभियान चलाया गया। अब धापा ताई द्वारा चलाए गए अभियान की समीक्षा करने के लिए लिंगानुपात की तुलना की गई। आश्चर्यजनक रूप से इनमें से 17 गांवों में लिंगानुपात में सुधार मिला।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:40 PM (IST)
...और फिर आंगनों में गूंजने लगीं बेटियों की किलकारियां, झज्जर में इस पहल से 17 गांवों का लिंगानुपात सुधरा
सफलता के बाद अब धापा ताई अभियान 50 गांवों में चलाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, झज्जर। ...और फिर आंगनों में गूंजने लगी बेटियों की किलकारियां। एक समय था जब जिला लिंगानुपात में गिरावट के कारण काफी फिसड्डी चला गया था। वर्ष 2020 की बात करें तो प्रदेश में अंतिम पायदान से सिर्फ एक कदम ही आगे था। जो हर किसी के लिए चिंताजनक था। वहीं लिंगानुपात में सुधार कर पाना भी चुनौतीपूर्ण था।

इस दौरान सबसे कम लिंगानुपात वाले गांवों को सबसे पहले लिंगानुपात के लिए लक्ष्य बनाया। जिसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने धापा ताई के माध्यम से लिंगानुपात की मुहिम चलाई। जिसकी सराहना प्रदेशभर में भी हुई। धापा ताई ने लिंगानुपात के लिए गांवों में जागरूकता अभियान चलाया। अब इसके सार्थक परिणाम आने लगे हैं।

 जिले के 25 गांवों को चुना गया, जिनका लिंगानुपात सबसे कम था। जिसके बाद अब धापा ताई द्वारा चलाए गए अभियान की समीक्षा करने के लिए लिंगानुपात की तुलना की गई। वर्ष 2020 में कम लिंगानुपात वाले जिन 25 गांवों को चुना गया था, उनमें से मई 2021 के दौरान 17 गांवों का लिंगानुपात बढ़ा हुआ पाया गया। वहीं एक गांव का लिंगानुपात समान था और सात गांवों के लिंगानुपात में गिरावट आई है।

जिन 25 गांवों में धापा ताई ने संभाली कमान उनकी स्थिति

गांव           2020 में लिंगानुपात         मई 2021 में लिंगानुपात

खेड़ी जसोर         513.5                  529.4

ग्वालिस           764.7                   1500

रुडियावास         636.4                   857.1

खानपुर खुर्द        483.9                   666.7

खोरड़ा            580                    1272.7

भंभेवा            777.8                  1250

बाघपुर            440                    1428.6

पलड़ा            655.2                   1200

गोच्छी            666.7                   1714.3

भूरावास           710.5                    750

मुंडाखेड़ा          535.7                   1333.3

माजरी            657.1                   1250

इशरहेड़ी           619                    1200

खातीवास          468.8                   600

महराणा            679.2                  800

पाटौदा             641                   1235.3

सराय औरंगाबाद      636..4                 800

लुहारी             818.2                  818.2

आसोदा टोडरान      735.3                  722.2

डबोदा कला        500                    250

सिद्धिपुर           578.9                   428.6

रोहद             846.2                   724.1

मदाना कला        750                     666.7

मातन             902.4                  764.7

खेड़ी जट्ट         888.9                  583.3

अब 25 की बजाय 50 गांवों में होंगी धापा ताई

गांवों में लिंगानुपात का सुधार होने के चलते प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब धापा ताई जिले के 50 गांवों में बनाई जाएंगी। महिला एवं बाल विकास विभाग की पीओ नीना खत्री ने बताया कि शुरूआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कम लिंगानुपात वाले 25 गांवों में धापा ताई बनाई गई थी। इस मुहिम की मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद प्रशंसा कर चुके हैं। धापा ताई की मेहनत रंग लाई। जिससे लिंगानुपात में सुधार आया। इसे देखकर उपायुक्त ने अब धापा ताई को 25 अतिरिक्त गांवों में बनाने के लिए कहा है। जिसके लिए कम लिंगानुपात वाले गांवों की लिस्ट तैयार की जा रही है। जिसके बाद जिले के कुल 50 गांवों में धापा ताई बन जाएंगी।

सबसे अधिक गोच्छी में बढ़ा लिंगानुपात

लिंगानुपात में हुई बढ़ोतरी की बात करें तो सबसे अधिक गांव गोच्छी में हुई है। ना केवल लिंगानुपात सुधरा बल्कि पहले से ढ़ाई गुना तक पहुंच गया। जो प्रशासन व गांव के लिए भी अच्छी बात है। 2020 में गांव गोच्छी का लिंगानुपात जहां केवल 666.7 रहा था। कम लिंगानुपात होने के कारण गोच्छी को फिसड्डी गांवों में शामिल किया गया था। लेकिन अब मई 2021 तक इस गांव का लिंगानुपात बढ़कर 1714.3 पहुंच गया है। इसका एक कारण धापा ताई भी मानी जा रही है। वहीं जिसके लिंगानुपात में गिरावट की बात करें तो डाबोदा कला में गिरावट अधिक हुई है। जहां वर्ष 2020 में गांव डाबोदा कला का लिंगानुपात 500 था, जो अब गिरकर 250 हो गया है। वहीं लुहारी गांव के लिंगानुपात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। गांव लुहारी का लिंगानुपात 818.2 ही बना हुआ है।

लिंगानुपात में बहादुरगढ़ आर-1 फिसड्डी

वर्ष 2020 के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिन कम लिंगानुपात वाले गांवों को चुना उनमें सबसे अधिक सात गांव खंड बहादुरगढ़ आर-1 खंड के शामिल थे। इस खंड पर ही लिंगानुपात सुधार का अधिक जोर रहा। वहीं सबसे कम साल्हावास खंड का केवल एक गांव ही इसमें शामिल थे। अब चुने गए इन 25 गांवों में से गिरावट होने वाले सात गांवों की बात करें तो इनमें से चार गांव बहादुरगढ़ आर-1 के शामिल हैं। बहादुरगढ़ आर-1 के एक गांव का लिंगानुपात समान रहा और दो गांवों के लिंगानुपात में सुधार आया है। वहीं खंड झज्जर, बहादुरगढ़ आर-2 व डीघल खंड का एक-एक गांव शामिल है, जहां लिंगानुपात गिरा है।

धापा ताई के अभियान से जागरूक हो रहे लोग

महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी नीना खत्री ने कहा कि  धापा ताई गांवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। जिससे लोग जागरूक भी हो रहे हैं। इसकी बदौलत जिन 25 गांवों में लिंगानुपात कम होने पर धापा ताई बनाई गई थी, उनमें से 17 गांवों का लिंगानुपात बढ़ा है। वहीं एक गांव का समान रहा और सात का घटा है। धापा ताई लिंगानुपात सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं।

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