Destitute Animal in Jhajjar: रात का अंधेरा बना बेसहारा पशुओं के लिए बदहाली का कारण, चोटिल होकर अस्पताल पहुंच रही घायल गाय

झज्जर में सड़कों पर घूमने वाला बेसहारा गोवंश रोजाना वाहनों की चपेट में आने से चोटिल हो रहा हैं। क्योंकि रात के अंधेरे में जहां पर भी बिजली की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। वहां पर इन्हें और ज्यादा चोट पहुंच रही है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 04:35 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 04:35 PM (IST)
Destitute Animal in Jhajjar: रात का अंधेरा बना बेसहारा पशुओं के लिए बदहाली का कारण, चोटिल होकर अस्पताल पहुंच रही घायल गाय
झज्जर में रात अंधेरे में पशु हो रहे है चोटिल।

झज्जर, जागरण संवाददाता। मौजूदा दिनों में पितृ पक्ष चल रहा है। पित्रों का तर्पण करने के निमित गाय का हिस्सा इन दिनों प्राय: सभी घरों से निकाला जा रहा है। ताकि, गाय के रुप में उन्हें जो ग्रास दिया जाए, वे किसी ना किसी रुप में हमारे पित्रों को प्राप्त हो।

वहीं इसी से जुड़ा दूसरा पहलू यह है कि सड़कों पर घूमने वाला बेसहारा गोवंश रोजाना वाहनों की चपेट में आने से चोटिल हो रहा हैं। क्योंकि, रात के अंधेरे में जहां पर भी बिजली की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। वहां पर इन्हें और ज्यादा चोट पहुंच रही है। 70 फीसद से अधिक गोवंश के पैर वाले हिस्सों पर गाड़ियां निकलने से उन्हें चोट पहुंच रही है। कुल मिलाकर, स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में व्यवस्था से जुड़ी इकाईयों को इस दिशा में जरुर ध्यान देते हुए कदम उठाना चाहिए। क्योंकि, अकेले गुरुग्राम रोड स्थित गोकुल धाम सेवा महातीर्थ चिकित्सालय में इन दिनों 60 से अधिक गोवंश के चोटिल होने के केस पहुंच रहे हैं। जो कि किन्हीं कारणों से सड़क दुर्घटना का शिकार हुए हैं।

इन मुख्य मार्गों पर डेरा डाल लेता है गोवंश

हाई-वे पर भी ऐसा ही नजारा हो जाता है। जहां पर पूरा प्रशासन बैठता है, ठीक उसी जगह के सामने दिन व रात तक गोवंश की भरमार रहती है। सूरज निकलते ही, ये कुछ गाय इधर-उधर हो जाती हैं। कुछ वहीं मौजूद रहती है। इनकी वजह से कई बार बड़े हादसे हो रहे हैं। बरसात का मौसम शुरू होने पर अधिक गोवंश सड़क पर जमा हो गया है। इनमें ज्यादातर गाय, सांड, बैल शामिल है। रात में यह सड़कों के बीचों-बीच बैठ रहते हैं। काला रंग होने के कारण अक्सर इनसे वाहन टकरा जाता है। बता दें कि वाहनों की टक्कर से एक ओर जहां लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, वहीं गोवंश की भी जान जा रही है। होने वाले इन हादसों के कारण गोवंश की रीढ़़ की हड्डी व पैर टूट जाने व सींघ टूटने के मामले सामने आ रहे हैं। प्रतिदिन करीब 60 से अधिक चोटिल गोवंश का उपचार गौसेवकों के द्वारा किया जा रहा है।

24 घंटे सेवा दे रही 13 एंबुलेंंस

बरसात के इन दिनों में बढ़े हादसों की वजह से गोकुल धाम सेवा महातीर्थ की 13 एंबुलेंस दिन-रात अपनी सेवाएं दे रही हैं। 300 से 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में चोटिल गोवंश को उपचार के लिए चिकित्सालय में लाया जा रहा है। इधर, गौसेवक सुनील निमाणा का कहना है कि मौजूदा समय में उनके चिकित्सालय में 1200 से अधिक गोवंश का उपचार हो रहा है। रोजाना काल बढ़ रही है। प्राय: गायों के पैर की हड्डी और रीढ़ की हड्डी दुर्घटनाओं में टूट रही है। जाने-अनजाने होने वाले इन हादसों से जहां आमजन भी पाप का भागीदार बन रहा है। वहीं, बेसहारा गोवंश को भी असहनीय दर्द बर्दाश्त करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर दिशा में जरुर ध्यान दिया जाए।

गौसेवक नविंद्र कुमार के अनुसार

गौसेवक नविंद्र कुमार के मुताबिक शहर की सड़कों पर बढ़ते गोवंश को लेकर लोग भी जिम्मेदार हैं, अधिकतर लोग दूध पीने के बाद गोवंश को सड़कों पर छोड़ देते हैं। कहीं कहीं समाज भी जिम्मेदार है। हम सभी को इस दिशा में सकारात्मक होगा कदम उठाना पड़ेगा। क्योंकि, ऐसा नहीं करने से हम सभी पशुओं को भी पीड़ा देने का अह्म कारण बन रहे है।

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