किसानों को प्रताडि़त करने में वर्तमान हरियाणा सरकार देश में नंबर-वन है : दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि दस हजार किसानों पर एक साथ मुकदमा दर्ज कर सरकार ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। लेकिन यह भी बताए कि इन किसानों को कौन सी जेल में बंद करेंगे। अभी देश में ऐसी कोई जेल नहीं बनी जो किसान को कैद कर सके।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:05 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:05 AM (IST)
किसानों को प्रताडि़त करने में वर्तमान हरियाणा सरकार देश में नंबर-वन है : दीपेंद्र हुड्डा
दीपेंद्र ने कहा कि सरकार ने किसानों को बलपूर्वक रोका, वाटर कैनन की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े।

रोहतक/सांपला, जेएनएन। राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हरियाणा-पंजाब के हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आंदोलनरत किसानों को देश में कहीं किसी ने नहीं रोका, लेकिन हरियाणा की सरकार ने उन्हें बलपूर्वक रोका, वाटर कैनन की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े। अब बेगुनाह हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज करा दिए। किसानों को प्रताडि़त करने में हरियाणा सरकार देश में नंबर-वन है। वे गांव कुलताना में सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि दस हजार किसानों पर एक साथ मुकदमा दर्ज कर सरकार ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। लेकिन यह भी बताए कि दस हजार किसानों को हरियाणा की कौन सी जेल में बंद करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी देश में ऐसी कोई जेल नहीं बनी जो किसान को कैद कर सके।

उन्होंने आगे कहा कि सामान्य तौर पर देखा जाता था कि आंदोलनकारी रास्ता रोकते थे और सरकार रास्ता खोलती थी। देश के इतिहास में पहली बार ये हो रहा है कि सरकार रास्ते बंद कर रही है और आंदोलनकारी किसान रास्ते खोल रहे हैं। किसान तो अपनी चुनी हुई सरकार से अपने जायज ह$क की मांग के लिए निवेदन करने शांतिपूर्ण ढंग से आ रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने जायज हकों की मांग के लिए संविधान और लोकतंत्र के दायरे में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों के साथ हरियाणा की भाजपा-जजपा  सरकार ने जिस तरह का अमानवीय बर्ताव किया है वो कतई स्वीकार्य नहीं है। इसकी जितनी ङ्क्षनदा की जाए कम होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक किसी कानून का किसानों के लिए कोई औचित्य नहीं है।

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