हिसार में निजी अस्पताल में एक साल के बच्चे की मौत, स्वजनों ने लगाए लापरवाही के आरोप, तनाव

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने रुपए के लिए उन्हें बच्चे के स्वास्थय की जानकारी नहीं दी। कहा कि बच्चा स्वस्थ हो जाएगा। इसके बाद बिना उन्हें सूचित किए बच्चे को सिविल अस्पताल भिजवा दिया गया। जहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 04:25 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 04:25 PM (IST)
हिसार में निजी अस्पताल में एक साल के बच्चे की मौत, स्वजनों ने लगाए लापरवाही के आरोप, तनाव
हिसार में एक साल के बच्‍चे की मौत हो गई, स्‍वजनों का आरोप है कि मौत की सूचना नहीं दी

हिसार, जेएनएन। 12 क्वार्टर रोड पर योग नगर निवासी एक साल 2 महीने के बच्चे की शहर के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। सूचना मिलने पर अर्बन एस्टेट थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। सुरेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे दिव्यांशु को 19 फरवरी को जिंदल चौक के पास स्थित एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया था उसे बुखार था और निमोनिया की शिकायत थी वहां चिकित्सकों ने कहा था कि आपका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा।

लेकिन शुक्रवार सुबह 12 क्वार्टर चौकी पुलिस से सूचना मिली की उनके बच्चे की मौत हो चुकी है और वह सिविल अस्पताल में है। सुरेंद्र का आरोप है कि उनके बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में बच्चे को दाखिल होने के बाद दूसरे दिन बुलाया गया था। उस दौरान बच्चा बेसुध था  लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसे कहा कि बच्चा ठीक है। जल्दी हो स्वस्थ हो जायगा। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने रुपए के लिए उन्हें बच्चे के स्वस्थ होने बारे जानकारी नहीं दी। बच्चे का आयुष्मान कार्ड बन जाने पर कहा कि आपका क्या रुपए  लग रहे हैं आप इसे यहीं रहने दें आपका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा।

इसके बाद बिना उन्हें सूचित किए बच्चे को सिविल अस्पताल भिजवा दिया गया। जहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। स्वजनों ने पुलिस से मामले में करवाई की मांग की है। मौके पर अर्बन एस्टेट थाना पुलिस से थाना प्रभारी सहित अन्य वहां पहुंचे। मामले में मृतक बच्चे के पिता का आरोप है कि उनके बच्चे की मौत के बारे में भी अस्पताल प्रशासन ने नहीं बताया जबकि उनके बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी थी।

बल्कि अस्पताल प्रशासन उनसे 19 फरवरी से 23 फरवरी तक प्रतिदिन 10 से 15 हजार रूपए लेते रहे। इसके बाद अस्पताल प्रशासन को जब पता लगा कि इनका आयुष्मान कार्ड है तो उसके जरिए भी रूपए लेते रहे। सुरेन्द्र का आरोप है कि अस्पताल द्वारा मरीज को रेफर करने बारे बताया जाना चाहिए था। लेकिन उसे बताया नहीं गया। बल्कि बिना उसे बताए गुपचुप तरीके से बच्चे को रेफर कर दिया। बच्चे के पिता और अन्य ने उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है।

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