भारत में जल्‍द जानवरों को भी लगेगी कोविड-19 की वैक्सीन, विज्ञानियों ने खोजी दवा, ट्रायल जारी

देश के तीन बड़े रिसर्च सेंटर के विज्ञानियों ने जानवरों की कोरोना वैक्सीन को विकसित कर लिया गया है अब इसे पहले चूहों को दिया जाएगा फिर कुत्तों को वैक्सीन दी जाएगी। यह दोनों फेज पूरा करने के बाद वैक्सीन को बाजार में लाने की तैयारी की जाएगी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 03:16 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 01:09 PM (IST)
भारत में जल्‍द जानवरों को भी लगेगी कोविड-19 की वैक्सीन, विज्ञानियों ने खोजी दवा, ट्रायल जारी
हिसार का एनआरसीई, बरेली में आईवीआरआई और भोपाल में एनआईएचएसएडी के विज्ञानी पशुओं की कोविड वैक्‍सीन पर कर रहे काम

वैभव शर्मा, हिसार। इंसानों की तरह ही अब जल्द देश में जानवरों के लिए कोविड-19 की वैक्सीन मिल जाएगी। इस काम में हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) के विज्ञानी जोर शोर से जुटे हुए हैं। वैक्सीन को विकसित कर लिया गया है। अब इसे पहले चूहों को दिया जाएगा फिर कुत्तों को वैक्सीन दी जाएगी। यह दोनों फेज पूरा करने के बाद वैक्सीन को बाजार में लाने की तैयारी की जाएगी। इसके लिए किसी प्राइवेट कंपनी से करार किया जाएगा।

विज्ञानियों का कहना है कि वैक्सीन बनाने के काम को पूरा कर लिया है। अब आगे के फेजों में कार्य करने की तैयारी चल रही है। जानवरों की वैक्सीन बनाने का प्रोजेक्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने एनआरसीई सहित देश के तीन संस्थानों को दिया है। जिसमें बरेली के इज्जत नगर स्थित इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) व भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज (एनआईएचएसएडी) भी शमिल हैं।

इंसानों से जानवर भी कोविड-19 से हो चुके हैं संक्रमित

गौरतलब है कि देश में कुछ समय पहले ही हैदराबाद में एशियन शेर में और इटावा की लायन सफारी में भी कोविड-19 संक्रमित पशु मिले थे। जिसके बाद यह तय हुआ कि इंसानों से पशुओं में कोरोना वायरस फैलता है। इससे पहले देश में एक भी केस पशुओं से जुड़ा नहीं पाया गया था। यह पूरी संभावना है कि पशुओं से भी इंसानों को कोविड-19 वायरस फैल सकता है। वहीं फिर पशुओं से इंसानों में वायरस फैल सकता है। ऐसे में पशुओं का वैक्सिनेशन इंसानो की ही तरह बहुत महत्वपूर्ण है। जानवर से मिले वायरस पर इस दवा को प्रयोग करने पर परिणाम प्रभावी मिले हैं।

वैक्सीन के विकास में किस प्रकार लगे हैं विज्ञानी

एनआरसीई के निदेशक डा. यशपाल के निर्देशन में यह कार्य हाे रहा है। वैक्सीन विकसित करने वाली टीम में शामिल वरिष्ठ विज्ञान डा. बीआर गुलाटी बताते हैं कि वैक्सीन बनाने के लिए पहले कोविड-19 वायरस को कमजोर किया गया। इसके बाद इस वायरस का प्रयोग वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में किया जा रहा है। इस कार्य में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का अतुलनीय योगदान रहा है।

पहले पशुओं पर किया सर्विलांस

वैक्सीन बनाने से पहले विज्ञानियों ने पशुओ में कोविड-19 का प्रभाव देखने को सर्विलांस का कार्य किया। हरियाण में 400 पशुओं पर यह सर्विलांस किया गया। जिससे में कई पशु कोरोना वायरस परिवार के वायरसों से संक्रमित मिले। यह पशु गाय, भैंस और अश्व नस्ल के थे। दुधारू पशुओं में बुवाइन कोरोना वायरस मिला। यह वायरस संक्रमण नहीं फैलाता मगर पशुओं को दस्त, बुखार, सर्दी जैसी समस्याओं से ग्रसित करता है। वैक्सीन बनाने के लिए इस सर्विलांस को आगे और भी किया जा रहा है।

वैक्‍सीन बन चुकी, ट्रायल हैं जारी- बीएन त्रिपाठी

-डा. बीएन त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि देश में इंसानों की तर्ज पर पशुओं व जानवरों को कोविड-19 से बचाने की हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए आईसीएआर ने पहले ही देश के सर्वोच्च तीन वेटेनेरियन संस्थानों को वैक्सीन बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। वैक्सीन बन चुकी है अब इसमें आगे के ट्रायल किए जा रहे हैं। जल्द ही हम कोविड-19 की वैक्सीन बाजार में किसी कंपनी के माध्यम से उतारेंगे।

chat bot
आपका साथी