Cotton Crops: फतेहाबाद में नरमे की फसल का प्रीमियम कटा था 4100 रुपये, क्लेम मिला 7 हजार
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू हुए 5 साल बीत गए लेकिन धान उत्पादक किसानों को इसका लाभ एक बार भी नहीं मिला। इस बार भी कई क्षेत्रों में धान की फसल जलभराव से खराब हुई थी। उम्मीद थी कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन अभी तक उसका क्लेम नहीं मिला।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में नरमे की फसल का बीमा करवाने के लिए किसान व सरकार ने मिलकर कंपनी को प्रति एकड़ 4109 रुपये प्रीमियम के दिए थे। लेकिन जब फसल खराब होने पर मुआवजा देने की बारी आई तो कंपनी ने 7 से 8 हजार रुपये किसानों के खाते में जारी कर दिए। अब कंपनी के कर्मचारी कह रहे है कि ये क्लेम नियमानुसार दिया जा रहा है। किसी किसान को प्राब्लम है तो वह कोर्ट जाए। लेकिन किसान की पहले पहले खराब हो गई। क्लेम के नाम पर उसे कुछ नहीं मिला। लेकिन कंपनी के अधिकारी व सरकार सुध नहीं ले रही। ऐसे में किसान परेशान है। किसानों का आरोप है कि कि सरकार सही से निगरानी नहीं कर रही। कंपनियों व बड़े अधिकारी किसानों के लिए बनाई गई योजना में बैठकर गड़बड़ी कर गए।
जिले के कई गांवों के किसानों के आए बीमे के रुपये
गांव कुम्हारिया के किसान कैलाश शर्मा, बलवंत कड़वासरा, सिलोचना व सुमित्रा ने बताया कि उनकी नरमे की फसल बारिश में खराब हो गई। इसके लिए 25 सितंबर को क्लेम किया। कंपनी के कर्मचारी करीब 15 दिन बाद जांच करने पहुंचे। उस दौरान भी खेतों में जलभराव था। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस फार्म पर उनके हस्ताक्षर करवाकर ले गए थे उस पर 50 फीसद नरमे की फसल को खराब दिखाया। लेकिन अब मुआवजा उनके खाते में प्रति एकड़ 7 से 8 हजार रुपये ही आए है। जबकि 50 फीसद खराब फसल का मुआवजा प्रति एकड़ 20 हजार रुपये आना था। किसानों का कहना प्रति एकड़ 4109 रुपये के प्रीमियम भरने के बाद 34 हजार 248 रुपये बिमित के निर्धारित हुए थे। लेकिन अब जितना प्रीमियम भरा गया। उतने ही रुपये कंपनी वापस किसानों को क्लेम के तौर पर दे रही है।
काटन का बीमा महंगा, 5 फीसद देना होता है किसान को क्लेम
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान की फसल का बीमा महज खरीब सीजन के लिए 2 व रबी के लिए 1.5 फीसद प्रीमिमय राशि पर बीमा किया जाता है, परंतु काटन का प्रीमियम भरने के लिए किसान को 5 फीसद राशि देनी होती है। ऐसे में इस फसल का बीमा काफी महंगा है। किसान को प्रति हेक्टेयर 4281 रुपये देने होते है। आगामी सीजन में किसान को प्रति हेक्टेयर करीब 4495 रुपये में होगा।
सरकार प्रीमियम भरने के लिए लूटा रही खजाना
बेशक किसान को फसल का बीमा करवाने के लिए काटन को छोड़कर अन्य फसलों का प्रीमियम में अंशदान 2 फीसद ही है। लेकिन प्रदेश व केंद्र सरकार मिलकर 50-50 फीसद प्रीमियम पर अनुदान दे रही है। अकेले फतेहाबाद जिले के किसानों के लिए करोड़ों रुपये का अनुदान दिया गया, ताकि बीमा कंपनी किसान की फसल का बीमा करें। व्यवस्था की विडंबना यह है कि कंपनी उसके बदले में किसान को उस हिसाब से लाभ नहीं दे रही। इस बार जलभराव होने पर भी मुआवजा सही से नहीं दिया जा रहा है। गत खरीब सीजन में अकेले सरकार ने फतेहाबाद जिले के किसानों के लिए करीब 90 करोड़ रुपये प्रीमियम पर अनुदान दिया गया। वहीं किसान व सरकार ने मिलकर कंपनी को 130 करोड़ रुपये का प्रीमियम भरा।
अधिकांश गांवों में साथ नहीं गए थे अधिकारी
किसान द्वारा क्लेम के लिए आवेदन करने के बाद बीमा कंपनी के कर्मचारियों के साथ कृषि विभाग के संबंधित अधिकारी भी जाने का नियम है। लेकिन बीमा कंपनी के कर्मचारी ही सर्वे करने जाते है। बीमा कंपनी भी आउटसोर्सिंग के मार्फत स्पेशल सर्वे के लिए ही कंपनी हायर करती है। जिनको प्रति क्लेम के सर्व के अनुसार रुपये मिलते है। ये कर्मचारी भी सही से सर्वे नहीं करते। जो सर्वे रिपोर्ट लिखकर लाते है कई बार अधिकारी भी उसे डस्टबिन में फैंक कर अपने हिसाब से बनाते है।
ये भरा किसान व सरकार ने मिलकर गत खरीब फसल का प्रीमियम
फसल का नाम बीमित राशि किसान का भरा प्रीमियम प्रीमियम पर अनुदान कुल प्रीमियम
नरमा 85622 4281 5993 10274
धान 88216 1764 5293 7057
बाजरा 41512 830 2905 3736
मक्का 44108 812 4851 5734
नोट उपरोक्त राशि प्रति हेक्टेयर है
आगामी रबी सीजन में इस प्रकार कटेगा प्रीमियम
फसल का नाम बीमित राशि किसान ने भरा प्रीमियम प्रीमियम पर अनुदान कुल प्रीमियम
गेहूं 67460 1011 2361 3373
जौ 44108 661 2867 3528
सरसों 45406 681 3405 4086
चन्ना 33730 505 6240 6746
सुरजमुखी 44108 661 8636 7498
नोट : उपरोक्त राशि प्रति हेक्टेयर है
फसल के बारे में बैंक में 24 तक दे सूचना
यदि किसी किसान को अपनी किस फसल का बीमा करवाना है। बीमा नहीं करवाना तो भी इसकी सूचना लिखित में अपने बैंक में 24 दिसंबर से पहले दे। इसके बाद किसान का आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसे में किसान ने जिस बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया हुआ है। उसे बैंक में संपर्क करते हुए अपनी बोई हुई फसल का ही बीमा करवाए। न करवाना है तो भी इसकी सूचना बैंक में देनी होगी।
ये भी उम्मीद : कम उत्पादन होने पर बीमा मिलने की संभावना
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के कई गांवों में काटन का उत्पादन औसत उत्पादन से कम हुआ है। ऐसे में उन गांव के सभी बीमित किसानों को मुआवजा मिलेगा। ऐसे में इस उम्मीद से किसान अच्छे मुआवजे की उम्मीद कर रहे है। लेकिन वहीं जिनकी फसल जलभराव से खराब हुई थी। उन्हें बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है। कई किसानों की तो फसल खराब मानने से भी कंपनियों ने इंकार कर दिया।