Corruption News: ग्राम सचिव ने विकास कार्यों के नाम पर किया 5.80 लाख रुपये का गबन, जानें पूरा मामला

जांच अधिकारी व अग्रोहा बीडीपीओ भगवान दास ने बताया कि उनके पास छह माह पहले इंटरनेट मीडिया के जरिए शिकायत आई थी कि इस प्रकार का काम ग्राम पंचायत किराड़ा में किया गया है। जिस समय यह गड़बड़ी हुई उस समय बीडीपीओ मनोज कुमार तैनात थे।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 08:34 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 08:34 AM (IST)
Corruption News: ग्राम सचिव ने विकास कार्यों के नाम पर किया 5.80 लाख रुपये का गबन, जानें पूरा मामला
तत्कालीन बीडीपीओ मनोज कुमार का डोंगल प्रयोग कर निकाली थी धनराशि

हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार के खंड अग्रोहा में ग्राम पंचायत किराड़ा के ग्राम सचिव देवेन्द्र सिंह ने वेंडर्स के साथ मिलकर पीआरआइ स्कीम में विकास कार्य के लिए आए 5.80 लाख रुपये डकारने का मामला सामने आया है। इस मामले में छह माह से जांच हो रही थी। अब मामला स्पष्ट होने पर मौजूदा बीडीपीओ भगवान दास ने थाना अग्रोहा को ग्राम सचिव सहित सात वेंडर्स के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तारी करने को पत्र लिख दिया है। खास बात है कि इस धनराशि को हड़पने के लिए तत्कालीन बीडीपीओ मनोज कुमार का डोंगल प्रयोग किया गया। जबकि बीडीपीओ को इस मामले की जानकारी ही नहीं थी। ग्राम सचिव सहित अन्य पर एफआईआर दर्ज कराने के साथ-साथ बीडीपीओ भगवान दास ने ग्राम सचिव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उपायुक्त को पत्र लिख दिया गया है। जल्द ही इस मामले में सख्त कार्रवाई देखने को मिलेगी।

विकास कार्य से जुड़ी धनराशि हड़पने का यह है पूरा मामला

जांच अधिकारी व अग्रोहा बीडीपीओ भगवान दास ने बताया कि उनके पास छह माह पहले इंटरनेट मीडिया के जरिए शिकायत आई थी कि इस प्रकार का काम ग्राम पंचायत किराड़ा में किया गया है। जिस समय यह गड़बड़ी हुई उस समय बीडीपीओ मनोज कुमार तैनात थे। उन्होंने जांच में सभी पक्षाें को सुनवाई के लिए बुलाया गया तो ग्राम सचिव देवेन्द्र सिंह न तो जांच में शामिल हुए न ही अपना पक्ष रखा। मामले की जांच आगे बढ़ी, कुछ आनलाइन दस्तावेज भुगतान से जुड़े मंगाए गए तो पता चला कि यह भुगतान छह वेंडर्स व व्यक्तियों को दिखाए गए हैं। इसका मिलान किया गया तो पता चला कि हकीकत में वह विकास कार्य हुए ही नहीं जिसका भुगतान किया गया था। इसमें एक रोचक तथ्य यह था कि तत्कालीन बीडीपीओ की स्वीकृति के बिना ही उनके डोंगल (वह यंत्र जिससे भुगतान किया जाता है) के जरिए फर्मों व व्यक्तियों को भुगतान कर दिया गया।

न एस्टीमेट बनाया न की अन्य कार्रवाई

मामले में जांच अधिकारी ने बताया कि नियमानुसार विकास कार्य कराने को पहले एस्टीमेट तैयार किया जाता है। इसके बाद एस्टीमेट स्वीकृति होने के बाद कार्य को आगे कराने की प्रक्रिया का अमल में लाया जाता है मगर इस मामले में 5.80 लाख रुपये का कार्य बिना एस्टीमेट के कराया गया। इसमें ग्राम सचिव के साथ बाबा बिरखनाथ आटोमोबाइल, सोनू पुत्र रिछपाल, राजेश कुमार पुत्र धर्मपाल, मुकेश ट्रेडिंग कंपनी, जय बाबा बिरखनाथ बिक्स कंपनी, जय भवानी सीमेंट स्टोर, कुलदीप पुत्र महाबीर के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने को लिखा गया है।

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