कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने आंदोलनकारियों को चिंता में डाला, नेता बार-बार कर रहे किसानों को जागरूक
कोरोना संक्रमण में अचानक आई तेजी से आंदोलनकारी किसानों को भी चिंता में डाल दिया है। किसान नेता भी चिंता में पड़े हुए हैं। अब तक आंदोलनकारियों को कोरोना बीमारी से बेखौफ रहने वाले नेताओं के चेहरे पर इस बीमारी के कारण चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर सरकार अब हर रोज सख्त होती जा रही है। दिल्ली सरकार के बाद अब हरियाणा सरकार ने भी नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। कोरोना संक्रमण में अचानक आई तेजी से आंदोलनकारी किसानों को भी चिंता में डाल दिया है। किसान नेता भी चिंता में पड़े हुए हैं। अब तक आंदोलनकारियों को कोरोना बीमारी से बेखौफ रखने वाले नेताओं के चेहरे पर इस बीमारी के कारण चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं। साथ ही बार-बार कोरोना को लेकर बयान देकर सरकार को चेतावनी देने भी साफ हो रहा है कि किसान नेताओं की चिंता जायज भी है।
किसान नेताओं को मन ही मन इस बात का डर है कि कहीं सरकार कोरोना का डर दिखाकर उनके आंदोलन को समाप्त न करवा दे। कहीं जबरन आंदोलन से उठा दे। इसी के चलते किसान नेता जोगेंद्र उगराहा हर मंच से यह बात जरूर कहते सुने जा रहे हैं कि कोरोना की आड़ में सरकार उनके आंदोलन को समाप्त करने की चेष्टा न करे। वीरवार को भी जोगेंद्र उगराहा ने मंच से कहा कि सरकार कोरोना की आड़ लेकर आंदोलन को खत्म करना चाह रही है। यह सरकार की नीयत ठीक नही है। हम शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। ऐेसे में आंदोलन को उग्र बनाने का काम सरकार ना करे।
जोगेंद्र उगराहा के अलावा अन्य किसान नेताओं के मुख से बार-बार यहीं बयान आने से कहीं न कहीं अब उन्हें भी लगने लगा है कि सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किसी न किसी तरीके से आंदोलन को खत्म करवा सकती है। ऐसे में ये किसान नेता आंदोनलकारियों को भी बार-बार कोरोना बीमारी के बारे में समझा रहे हैं। उनके मन से कोरोना का भय दूर रहे हैं कि यह बीमारी कुछ नहीं है। उन्हें कुछ नहीं होने वाला। गौरतलब है कि यहां बैठे आंदोलनकारियों ने शुरू से ही न तो कोरोना टेस्ट कराया है और ना ही वैक्सीन लगवाई है। आंदोलनकारी न तो मास्क लगा रहे हैं और ना ही सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे हैं।