कोरोना ने शिक्षा और स्वस्थ्य के क्षेत्र को किया प्रभावित: प्रो. कांबोज

गुजवि में आरंभ हुआ छह दिवसीय एआईसीटीई प्रोयोजित कार्यक्रम

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 06:27 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 06:27 PM (IST)
कोरोना ने शिक्षा और स्वस्थ्य के क्षेत्र को किया प्रभावित: प्रो. कांबोज
कोरोना ने शिक्षा और स्वस्थ्य के क्षेत्र को किया प्रभावित: प्रो. कांबोज

- गुजवि में आरंभ हुआ छह दिवसीय एआईसीटीई प्रोयोजित कार्यक्रम

जागरण संवाददाता, हिसार : गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा है कि कोरोना के कारण पुरी दुनिया में अनेक प्रकार के बदलाव आए हैं। कोरोना ने शिक्षा और स्वस्थ्य के क्षेत्र को ज्यादा प्रभावित किया है। कोरोना की चुनौतियों से निपटने में पुस्तकालयों और सूचना विज्ञान ने एक पेशेवर योद्धा की भूमिका निभाई है। प्रो. काम्बोज सोमवार को विश्वविद्यालय के डा. भीमराव आंबेडकर पुस्तकालय के सौजन्य से आरंभ हुए छह दिवसीय एआईसीटीई प्रायोजित शार्ट टर्म कोर्स के आनलाइन उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। डिजीटल युग में सूचना स्त्रोत और शिक्षा: चुनौतियां एवं विवरणिका विषय पर आयोजित इस कोर्स में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अवनीश वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ऐक्नोलाजी, दिल्ली के पुस्तकालय अध्यक्ष डा. नबी हसन उद्घाटन समारोह के मुख्यवक्ता थे। कोर्स के संयोजक प्रो. संदीप आर्य एवं पुस्तकालय अध्यक्ष डा. विनोद शर्मा हैं। प्रो. कांबोज ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षण तकनीकी में अभूतपूर्व परिवर्तन आए हैं। पुस्तकालयों द्वारा विद्यार्थियों को उनके घर तक पाठ्य सामग्रियां आनलाइन माध्यमों से उपलब्ध करवाई गई। यही कारण रहा कि अत्यंत चुनौतिपूर्ण समय में भी शिक्षा से संबंधित व्यवस्थाएं व कार्यक्रम चलते रहे। कुलसचिव प्रो. अवनीश वर्मा ने कहा कि डिजीटल युग में पुस्तकालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। डिजीटल युग में सूचना प्राप्त करना मुश्किल नहीं है, बल्कि सही सूचना प्राप्त करना चुनौती है। मुख्यवक्ता डा. नबी हसन ने कहा कि सूचना का हर युग में अपना एक महत्व होता है। डिजीटल युग में सूचना आसानी से और बिना पैसे खर्च किए प्राप्त हो रही है। इस युग में कोई भी शिक्षाविद् आसानी से अपने द्वारा किए शोधकार्यों के उपयोग और प्रभाव का आसानी से पता लगा लेता है। प्रो. संदीप आर्य ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए जीवन रेखा के रूप में होते हैं। एआईसीटीई के एफडीसी निदेशक कर्नल बी वेंकेट ने कहा कि आज के बदलते परिवेश में सही सूचना की एक बहुत ही बड़ी भूमिका है। कार्यक्रम के समन्वयक डा. विनोद शर्मा ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में 13 राज्यों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। धन्यवाद प्रस्ताव डा. नरेंद्र चौहान ने प्रस्तुत किया।

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