Congress Grass Damage: अमेरिकी गेहूं के साथ आई कांग्रेस घास से हरियाणा में भूमि को बंजर होने का खतरा

अमेरिकी गेहूं बीज के साथ आई कांग्रेस घास से भूमि को बंजर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि इस खरपतवार के नाश को लेकर किसान के द्वारा किया गया प्रयास लगातार असफल हो रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 09:00 AM (IST)
Congress Grass Damage: अमेरिकी गेहूं के साथ आई कांग्रेस घास से हरियाणा में भूमि को बंजर होने का खतरा
कृषि विभाग द्वारा नहीं चलाया जाता कांग्रेस घास को नष्ट करने के लिए अभियान

जागरण संवाददाता, सिरसा। कांग्रेस घास यानि खरपतवार गाजर घास का तेजी से दायरा बढ़ रहा है। अमेरिकी गेहूं बीज के साथ आई कांग्रेस घास से भूमि को बंजर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि इस खरपतवार के नाश को लेकर किसान के द्वारा किया गया प्रयास लगातार असफल हो रहा है। वहीं इसके संपर्क में आने से त्वचा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

अकाल के दौरान लाए गए अमेरिकी गेहूं बीज के साथ पहुंची

दरअसल देश में वर्ष 1966-67 के अंदर अकाल पड़ा। भारत में अकाल की स्थिति के दौरान अमेरिका से आए गेहूं में पाया गया था। उस समय कांग्रेस की सरकार थी अत: इसे कांग्रेस घास लोग कहने लगे। कांग्रेस घास का एक पौधा एक हजार से लेकर 50 हजार तक अति सूक्ष्म बीज पैदा करता है। यह तेजी से बढ़ता और विकास करता है। इसे अत्यधिक खाने से मवेशी की जान भी जा सकती है।

भूमि में पैदावार भी कम कर देती है

कांग्रेस घास का हर जगह दायरा बढ़ रहा है। कांग्रेंस घास खेतों के साथ साथ नहरों व सड़कों के किनारे खड़ी हुई है। इससे यह दूसरे पौधों को भी नहीं पनपने देती है। भूमि में यह 30 से 40 फीसद तक पैदावार में कम कर देती है। जिससे किसानों के लिए परेशानी बन रही है। इसके पौधे से निकलने वाला विषैला रसायन आसपास के वातावरण को भी दूषित करता है। इस कारण चर्मरोग व श्वास संबधी जैसी बीमारियां फैलती है।

जिले में कांग्रेस घास को खत्म करने के लिए कृषि विभाग द्वारा कोई अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है। किसान हरी सिंह, दूनीराम व भीम सिंह ने बताया कि नहरों व सड़कों के किनारों पर सबसे ज्यादा कांग्रेस घास है। इससे घास के बीज खेतों में चले जाते हैं। विभाग द्वारा खरपतवार को नष्ट किया जाए। जिससे किसानों की भूमि बंजर होने से बच सके।

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