चीनी कंपनियों ने बदली रणनीति, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में प्लांट लगाकर भारत भेज रहे स्टील प्रोडक्ट

नॉर्थ इंडिया पाइप एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्ता बताते हैं कि चीन के स्टील उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगी तो भारतीय उद्योगों को मजबूती मिली। भारत-चीन तकरार के बाद लोगों में भारतीय प्रोडक्ट के लिए जगह बनी तो चीन की कंपनियों ने इंडोनेशिया बांग्लादेश वियतनाम में प्लांट खोल दिए।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 02:53 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 02:53 PM (IST)
चीनी कंपनियों ने बदली रणनीति, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में प्लांट लगाकर भारत भेज रहे स्टील प्रोडक्ट
नॉर्थ इंडिया पाइप एसोसिएशन ने केंद्रीय उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।

हिसार, जेएनएन। चीन और भारत के बीच पिछले दिनों सीमा पर तनातनी के बीच आत्मनिर्भर भारत और चीनी सामान बहिष्कार करो का माहौल बना। जिससे चीनी कंपनियों को काफी नुकसान भी हुआ। इसको देखते हुए चीनी कंपनियों ने व्यापार की रणनीति में परिवर्तन कर दिया है। स्टील प्रोडक्ट में यह परिवर्तन खास तौर पर देखा जा रहा है। 

अब चीन के स्टेनलेस स्टील से बने पाइप व अन्य सामान को इंडोनेशिया, बांग्लादेश, वियतनाम के रास्ते भारत में आ रहे हैं। इन देशों के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते हैं। इनके आधार पर इन देशों के उत्पादों टैक्स में कई प्रकार की छूट भी दी जाती है। इसी बात का फायदा उठाते हुए भारत में चीन के माल को खपाया जा रहा है। इस बात पर नॉर्थ इंडिया पाइप एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है। उन्होंने केंद्रीय उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, बंग्लादेश के रास्ते भारत में आने वाले स्टील उत्पादों पर काउंटर वेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगाने को कहा है। इससे पहले भारत सरकार ने चीन से आ रहे स्टेनलैस स्टील प्रोडक्ट पर यह सीवीडी और एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई थी। 

इन देशों में प्लांट भी लगाए 

नॉर्थ इंडिया पाइप एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्ता बताते हैं कि पहले चीन में बने स्टेनलेस स्टील के पाइप घरेलू उद्योगों को काफी चुनौती देते थे। इन पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगी तो भारतीय उद्योगों को मजबूती मिली। अब भारत-चीन तकरार के बाद लोगों में भारतीय प्रोडक्ट के लिए जगह बनी तो चीन की कंपनियों ने इंडोनेशिया, बांग्लादेश, वियतनाम में प्लांट खोल दिए। अब वह माल चीन से लाते हैं, मगर मोहर इन पड़ोसी देशों की लगाते हैं और खपाते भारतीय बाजार हैं। कई निर्माता तो चीन से सीधे आर्डर कर उन पर मेड इन इंडिया की मोहर भी लगवा लेते हैं। इसके साथ ही टैक्स में फायदा लेकर भारतीय स्टील उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं। 

पाइप के रेट में भी काफी अंतर 

मौजूदा समय में स्टेनलैस स्टील का इंपोर्टेड पाइप (ग्रेड 304) 150 से 155 रुपये के करीब आ रहा है, जबकि भारत में इस पाइप का कच्चा माल ही 170 से 175 रुपये में मिलता है। ऐसे में भारतीय उद्योग जब कच्चा माल लेकर पाइप बनाते हैं तो वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी के साथ यह पाइप बाजार में 224 रुपये तक का मिलता है। चीन के कच्चे माल से बना पाइप 168 रुपये में मिल जाता है। ऐसे में अभी भी भारतीय स्टील पाइप उद्योग को चीन कड़ी टक्कर दे रहा है। 

क्या है काउंटर वेलिंग ड्यूटी

काउंटर वेलिंग ड्यूटी या प्रतिकारी शुल्क को अतिरिक्त सीमा सीमा शुल्क भी कहते हैं। जो एक आयतक देश उस स्थिति में लगाता है, जब निर्यातक देश निर्यात पर सब्सिडी देकर अपना माल दूसरे देशों में बेचने का प्रयास करता है। उस निर्यात सब्सिडी के प्रभाव को निरस्त करने के उद्देश्य से काउंटर वेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगाई जाती है। 

उद्योग मंत्रालय से शुल्क लगाने की गुहार

नॉर्थ इंडिया पाइप एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्ता ने बताया कि हमने उद्योग मंत्रालय को इंडोनेशिया, वियतनाम, बांग्लादेश, थाईलैंड सहित अन्य देशों से आ रहे चीन के स्टेनलेस स्टील पाइपों पर सीवीडी लगाने की मांग की है। भारतीय स्टील उद्योग को बचाने के लिए यह करना आवश्यक है, क्योंकि कई बातों का फायदा उठाकर चाइनीज निर्माता सस्ता माल सप्लाई कर रहे हैं।

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