बच्‍चे को दान करने के मामले में हांसी के समाधा मंदिर पहुंची बाल संरक्षण विभाग की टीम, रिकॉर्ड तलब

हांसी के समाधा मंदिर में दपंती ने अपना एक महीने के बच्चे को दान करने का मामला सामने आया था। दबाव के बाद अभिभावकों ने बच्‍चे को वापस ले लिया था। वहीं मंदिर में पांच साल पहले भी एक बच्‍चा दान किया गया था जिसके रेस्‍क्‍यू के लिए टीम पहुंची

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 01:13 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 01:13 PM (IST)
बच्‍चे को दान करने के मामले में हांसी के समाधा मंदिर पहुंची बाल संरक्षण विभाग की टीम, रिकॉर्ड तलब
हांसी के समाधा मंदिर में जांच पड़ताल करने के लिए पहुंची बाल संरक्षण विभाग की टीम

हिसार/हांसी, जेएनएन। समाधा मंदिर में एक माह के मासूम बच्चे को दान करने के अचंभित करने वाले मामले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा मंदिर का दौरा करने पहुंची है। वहीं बच्चों से जुड़ा रिकॉर्ड तलब कर लिया है। वहीं, पूरे प्रकरण के बाद से मंदिर प्रशासन चुप है। मंदिर में एक 5 वर्षीय बच्चा भी है जिसे कुछ वर्ष पूर्व एक परिवार ने दान किया था। इस बच्‍चे का भी रिकॉर्ड पता किया जा रहा है। टीम बच्‍चे का मेडिकल करवाने के लिए लेकर गई है। मंगलवार सुबह ज्‍योति बैंदा अपनी टीम के साथ मंदिर में पहुंची थी।

बता दें कि हांसी के समाधा मंदिर में बीते बुधवार को डडल पार्क निवासी माता-पिता ने अपना एक महीने के बच्चे को दान करने का मामला सामने आया था। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए दोनों दोनों पक्षों को थाने में तलब कर लिया था। पुलिस कार्रवाई की गाज गिरते देखे परिवार ने बच्चे को वापिस ले लिया था। पुलिस ने मंदिर से जुड़े महंत को भी चेतावनी दी थी। अंधविश्वास से जुड़ा ये मुद्दा मीडिया में आने के बाद गुरुवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कड़ा संज्ञान लिया। आयोग ने तुरंत मंदिर में बच्चों से संबंधित रिकॉर्ड तलब करते हुए ऐसा करने वाले अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही। इसके अलावा मंदिर में पूर्व दान किए गए बच्चे को रेस्क्यू करवाने की भी चेयरपर्सन ने कहा था। इसी के मुताबिक बच्‍चे को रेस्‍क्‍यू करने के लिए बाल सरंक्षण विभाग की टीम पहुंची है।

बच्चा दान करने का कोई प्रावधान नहीं

इस प्रकार की मंदिर या व्यक्ति को बच्चा दान देने का देश के किसी कानून में कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा करना जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व चाइल्ड एक्ट के अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत भी जुर्म है। जुवेनाइल एक्ट के अनुसार अगर किसी माता-पिता को अपना बच्चा छोड़ना है तो उन्हें चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी या जिला बाल संरक्षण यूनिट के समक्ष जाना होगा। जहां बच्चे के माता-पिता की काउंसलिंग होगी व पूरी प्रक्रियाओं के बाद बच्चा बाल संरक्षण अधिकारी पास रखेगी। दो महीने का परिवार को समय दिया जाता है। इस अवधि में अगर मां-बाप का मन बदल जाता है तो वह बच्चा वापिस ले सकते हैं। गोद लेने के लिए भी भारत सरकार ने सीएआरए अथॉरिटी का गठन कर रखा है।

परंपरा के नाम पर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़

दरअसल, मंदिर में मन्नत मांगने वाले कुछ अंधविश्वासी लोग बच्चा होने पर मंदिर में दान करने का ऐलान कर देते हैं। कई साल पूर्व मंदिर के वर्तमान गद्दीनशीन पंचमपुरी को भी पंजाब के एक परिवार ने मंदिर में चढ़ाया था। करीब 5 साल पूर्व हांसी के ही एक परिवार ने स्वेच्छा से मात्र तीन महीने के बच्चे को मंदिर में दान किया था। गुरुवार को एक और परिवार ने 1 महीने के बच्चे को मंदिर के सुपुर्द किया, लेकिन इस बार मामला पुलिस के संज्ञान में आ गया। मंदिर में अगले दो-तीन तीनों में एक बच्चा और दान दिया जाना था, लेकिन अब मंदिर के महंत इस मामले में चुपी साध गए और अब वे एक बड़े मामले में पकड़े गए हैं।

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